■ कवि ऋषि कुमार शर्मा मार्गदर्शक एवं पूर्व अध्यक्ष संस्कार भारती बरेली व तमाम अन्य संभ्रातजनों ने कोटि-कोटि नमन किया
घनश्याम सिंह
समाचार सम्पादक
दैनिक अमर स्तम्भ
कानपुर
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के वरिष्ठ प्रचारक एवं साहित्य एवं ललित कलाओं को समर्पित अखिल भारतीय संस्था संस्कार भारती के संस्थापक पद्मश्री बाबा योगेंद्र का निर्जला एकादशी के दिन परलोक गमन संघ एवं कला साधकों की ऐसी क्षति है जिसकी पूर्ति असंभव है। ऐसे विलक्षण व्यक्तित्व सर्दियों में ही जन्म लेते हैं।
बाबा योगेंद्र का जन्म 7 जनवरी सन 1924 को उत्तर प्रदेश के जिले बस्ती में हुआ वह अपने माता पिता के एकमात्र पुत्र थे। बाल्यकाल से ही उन्होंने ग्राम की संघ की शाखा में जाना प्रारंभ कर दिया था। गोरखपुर में उच्च शिक्षा ग्रहण करने के दौरान उनका संपर्क संघ प्रचारक नानाजी देशमुख से हुआ। तथा वे पूर्णतया संघ के प्रचार प्रसार में लग गए। इस हेतु वे गोरखपुर प्रयागराज बरेली बदायूं सीतापुर आदि स्थानों पर संघ के प्रचारक के रूप में कार्य करना प्रारंभ कर दिया।
सन 1981 में उन्होंने समस्त कला साधकों को एक मंच प्रदान करने तथा उनके सर्वांगीण विकास एवं साहित्य तथा ललित कलाओं के प्रचार प्रसार हेतु समस्त कला साधकों को एक माला के रूप में पिरोने के उद्देश्य से सन 1981 में अखिल भारतीय संस्था संस्कार भारती की स्थापना श्री यादराम देशमुख एवं श्री श्याम कृष्ण के साथ मिलकर की एवं संस्कार भारती को शीर्ष पर ले जाने मैं अपना पूरा जीवन समर्पित कर दिया। वर्तमान में संस्कार भारती की 12 सौ से अधिक इकाइयां बहुत सफलतापूर्वक कार्य कर रही हैं।
बाबा योगेंद्र मूलतः चित्रकार थे किंतु इन्होंने अन्य विधाओं यथा नाट्य कला संगीत कला साहित्य काव्य एवं नृत्य के साथ-साथ चित्रकला को भी प्रचारित प्रसारित करके सांस्कृतिक प्रदूषण से कला साधकों को दूर करने एवं उनमें राष्ट्रभक्ति एवं उच्च संस्कार जगाने के उद्देश्य से संस्कार भारती को पूर्णतया समर्पित हो गए। संस्कार भारती के घोष वाक्य ” सा कला या विमुक्तये ” अर्थात कला वह है जो बुराइयों के बंधन काट कर मुक्ति प्रदान करती है को चरितार्थ करने में उन्होंने अपना जीवन सहर्ष लगा दिया।
98 वर्ष की आयु में भी उनकी विलक्षण स्मृति थी। जिससे एक बार मिल लेते थे उसका नाम उन्हें सदैव याद रहता था।
उनका बरेली आगमन जब भी हुआ संस्कार भारती के राष्ट्रीय सह साहित्य प्रमुख आचार्य देवेंद्र देव एवं प्रांतीय सचिव डॉक्टर रंजन विशद के साथ मेरी भी उनसे नियमित भेंट होती थी। उन्होंने स्वयं आग्रह करके मेरे निवास स्थान नकटिया बरेली जो शहर से 6 या 7 किलोमीटर दूर है आने की इच्छा प्रकट की और भव्य रुप से मैंने और सैकड़ों की संख्या में उपस्थित नकटिया वासियों ने उनकी चरण धूलि अपने मस्तक पर लगाने का सौभाग्य प्राप्त किया। संस्कार भारती बरेली के अध्यक्ष के रूप में मुझे उनका सम्मान करने का कई बार शुभ अवसर प्राप्त हुआ।
समस्त कला साधकों के मध्य भारतीय संस्कारों को पल्लवित एवं उन्हें एक मंच देकर उनके सर्वांगीण विकास के भागीरथ कार्य को सफलतापूर्वक करते रहने में सदैव तत्पर रहने वाले ऐसे कला ऋषि को कवि ऋषि कुमार शर्मा मार्गदर्शक एवं पूर्व अध्यक्ष संस्कार भारती बरेली व तमाम अन्य संभ्रातजनों ने कोटि-कोटि नमन किया है।।