महर्षि विद्या मंदिर प्रतापुर में गुरु पूर्णिमा महोत्सव एवं महर्षि विश्व शांति आंदोलन का 14 वां स्थापना दिवस धूमधाम से मनाया गया..
चंद्रिका कुशवाहा
सूरजपुर ब्यूरो (अमर स्तंभ)
महर्षि विद्या मंदिर प्रतापुर में 13 जुलाई 2022 दें बुधवार को गुरु पूर्णिमा महोत्सव एवम महर्षि विश्व शांति आंदोलन का 14 वां स्थापना दिवस समस्त छात्र छात्राओ तथा शिक्षकों की उपस्थिति में धूमधाम से मनाया गया।
सर्वप्रथम वैदिक परंपरा का निर्वहन करते हुवे दीप प्रज्ज्वलन एवं विधि विधान से गुरु पूजन किया गया उसके पश्चात सभी छात्रों ने गुरु शिष्य परंपरा से संबंधित ड्राइंग बनाया सभी छात्र छात्राओं ने शिक्षकों को तिलक लगाकर आशीर्वाद प्राप्त किया ।
इस अवसर पर प्राचार्या श्रीमती संगीता श्रेष्ठ ने गुरु की महत्ता पर प्रकाश डालते हुवे कहा कि गुरु का साथ एवं प्रेरणा मानव जीवन को सार्थक बनाने में परम आवश्यक है । महर्षि विद्या मंदिर विद्यालय समूह के माननीय अध्यक्ष ब्रम्हचारी गिरीश जी का संदेश भी पढ़ कर सुनाया गया जिसमें उन्होंने कहा कि महर्षि महेश योगी जी की यह इच्छा थी कि यदि सम्पूर्ण विश्व के लिए 10,000 वैदिकों के शांति समूह की स्थापना कर दी जाये तो उनके नित्य प्रातः योग, भावातीत ध्यान , सिद्धि कार्यक्रम , यौगिक उड़ान के अभ्यास से विश्व की सामूहिक चेतना में सकारात्मकता की वृद्धि होगी एवम नकारात्मक प्रवृत्तियों का शमन होगा । यह ऐसे ही होगी जैसे रात के अंधकार को भोर की पहली किरण मिटा देती है । आज गुरु पूर्णिमा के पावन दिवस पर उंन्होने सभी का आवाहन किया है कि भारत देश के ब्रम्हस्थान में स्थापित किये जाने वाले 10,000 यौगिक फ्लायर्स के शांति समूह के सदस्य बनकर मानव और देश के समूह में आपसी सौहाद्रता एवम समन्वय की स्तिथि निर्मित कर विश्व शांति की स्थापना में सहायक बने।
तत्पश्चात विद्यालय की प्राचार्या ने महर्षि विद्या मंदिर विद्यालय की विशेषताओं पर प्रकाश डालते हुवे यह बतलाया कि महर्षि विद्या मंदिर विद्यालय की प्रमुख विशेषता है कि यह संस्थान विद्यार्थियों को उत्तम शिक्षा के साथ संस्कारित भी करता है । इस वैदिक ज्ञान विज्ञान से संस्कारित ये विद्यार्थी अपने स्वयं के जीवन मे , अपने परिवार व समाज में अपने सद्गुणों से एक नई आभा और ऊर्जा का संचार करके आदर्श समाज की स्थापना करेंगे जहां सभी नागरिक सुखी संम्पन्न , स्वस्थ शांतिपूर्ण और आनंदमय जीवन व्यतीत कर सकेंगे।
इसके साथ ही उन्होंने कहा कि महर्षि जी ने अनवरत प्रयास किया कि प्रत्येक व्यक्ति अपनी वैदिक गुरु परंपरा एवं वैदिक तकनिकों से अपनी चेतना को जागृत कर अपने परिवार ,अपने समाज ,अपने देश एवं विश्व परिवार को एक सुगठित एवं अनुशासित इकाई के रूप में परिवर्तित कर सके । इसी के लिए परम पूज्य महर्षि जी ने प्रत्येक मानव में चेतना जागृत करने एवं उसे स्थायित्व देने हेतु *भावातीत ध्यान*की एक सरल ,स्वाभाविक एवं प्रयास रहित तकनीक विश्व को प्रदान की है । इसका नियमित अभ्यास कर हम जीवन सफल बना सकते है आज के समय मे जब दुनिया के समस्त देश अपनी ताकत का बल दिखा रहे है वही हमारा भारत देश अपनी वैदिक संस्कृति का ज्ञान सभी को देकर नागरिकों का जीवन सुखमय और शांतिप्रिय बनाना चाहता है और इसी बल से हम अपने देश को पुनः जगत गुरु बना सकते है ।
आज के इस आधुनिक युग मे अपनी संस्कृति और सभ्यता का ज्ञान हमारी महर्षि विद्यालय समूह के द्वारा प्रदान किया जा रहा है जिसमे छात्र छात्राओं को आधुनिकता के साथ अपनी संस्कृति से जुड़े रहने का ज्ञान दिया जाता है । अपनी संस्कृति से जुड़ी शिक्षा मानव जीवन को अनवरत उचाईयों पर ले जाता है।
समस्त कार्यक्रम के दौरान सभी छात्र छात्राओं ने अपने गुरु की वंदना का कार्यक्रम प्रस्तुत किया ।समस्त कार्यक्रम के दौरान विद्यालय की प्राचार्या संगीता श्रेष्ठ, शिक्षिका रेणु सिंह,दुर्गा महंत,स्वेता कुशवाहा, बिंदु जायसवाल, मुन्नी पांडेय शिक्षक सुनील श्रेष्ठ, सुनील कुमार वर्मा तथा ध्यान योग शिक्षक संतोष सिंह उपस्थित थे।