*बर्षा रानी आई*
बर्षा रानी आई !
खेतों में हरियाली लाई !!
नाचे मोर मयूरी,
आस हुई अब पूरी!
खुश हो गए किसान,
लगा रहे खेतों में धान ।
बर्षा रानी आई !
खेतों में हरियाली लाई!!
कोयल कूक रही मतवाली,
कूद रही है डाली डाली ।
पीहू पीहू पपीहा करता,
जन जन का मन हरता।
बर्षा रानी आई!
खेतों में हरियाली लाई !!
बिगड़ रहा मौसम का ढर्रा,
प्रदूषण में डूबा जर्रा जर्रा।
हरियाली का हरण करो ना!
वृक्ष लगाओ शर्म करो ना
— *घनश्याम सिंह त्रिभाषी साहित्यकार/*
*वरिष्ठ पत्रकार,मीडिया प्रभारी बुलंदी साहित्यिक सेवा समिति*
मो.9760427199