मो. फारुक संवाददाता
पुरवा/उन्नाव/(दैनिक अमर स्तम्भ ) / पुरवा विधानसभा से जनता की आवाज विधायक अनिल सिंह का जिला पंचायत बैठक में अधिकारी गणों को दो टूक कहा जब भी पुरवा विधायक आवें, आप सभी खड़े होकर अभिवादन करें, इस समय सु्रखियों में है, आइये जाने इस विषय में लोगों की क्या राय है, हाल ही में जिला पंचायत की बैठक में पुरवा विधायक अनिल सिंह ने अधिकारियों को दो टूक, शब्दों का पालन कराना चाहते थे ? लेकिन दो टूक का मजाक बना दिया गया।
जहां लंबी पड़ताल में जिला पंचायत की बैठक में पुरवा विधायक अनिल सिंह के दो टूक का हाल जनता से जानिए।
बछौरा गांव निवासी बृजेश शुक्ला कहते है, कि एक जनप्रतिनिधि विधायक हो या सांसद सत्ता दल का हो या विपक्ष का उसका सम्मान करना उसके प्रोटोकॉल का ध्यान रखना एक कर्मचारी अधिकारी का दायित्व है। ऐसा न करना राज्य कर्मचारी आचरण नियमावली 1996 (संसोधन) एवम लोक सभा सदस्य, विधान मण्डल सदस्य के प्रोटोकॉल का उल्लंघन है, यह एक अपराध है जिसके तहत दंडात्मक कार्यवाही निहित है। समय समय पर सांसदों व विधायको द्वारा प्रोटोकॉल के उलंघन व अमर्यादित आचरण की शिकायत की जाती है व विधान सभा सत्र काल के दौरान भी मामले उठाएं जाते है। जिस पर शासनादेश संख्या 555-90 संशि0प0का0 1702 सं0) / 2015 का हवाला देते हुए अनुपालन हेतु मुख्य सचिव, विशेष सचिव पुलिस महानिरीक्षक एवम समस्त जनपदों के जिलाधिकारी को जनपद में प्रोटोकॉल का कड़ाई से पालन कराने हेतु निर्देशित किया जाता है। पर आधिकारी उसके बावजूद प्रोटोकॉल एवम आचरण को भूल कर अमर्यादित व्यवहार करते सवाल यह है कि जब कोई कर्मचारी आधिकारी जनता द्वारा चुने हुए सांसद / विधायक का सम्मान नही कर सकते तो आम जनमानस के प्रति ससम्मान दायित्व का निर्वहन कैसे करेंगे?
शिझण संस्थान के प्रबंधक विनीत तिवारी कहते हैं “कि लोकतंत्र में जन भावना का सम्मान तभी है जब जनप्रतिनिधि का सम्मान है, यदि विधायक का सम्मान नहीं होगा तो जन मानस की कौन सुनेगा, संस्कार विहीन शिझा के कारण ही ऐसे हालात देखने को मिल रहे हैं, आवश्यक होगा कि अधिकारी गण अपने दायित्व से परिचित हों”
बेहटा गांव निवासी अमित सिंह कहते है कि जब कानून बनाने का अधिकार विधायिका को है तो फिर कार्यपालिका के अंग को कार्यप्रणाली में सुधार करना चाहिए, उन्हें यह नहीं भूलना चाहिए कि विधायक एक बड़े जन समूह का सदन में प्रतिनिधि है, उसका सम्मान हमारी नैतिक जिम्मेदारी है, ”
सामाजिक कार्यकत्री ओरहर गांव निवासी सुभाषिनी तिवारी कहती हैं, कि मैंने अध्ययन काल में पढ़ा है “कि लोकतन्त्र जनता का जनता के लिए जनता के द्वारा चुने गये प्रतिनिधि से अस्तित्व वान है, जनप्रतिनिधि का सम्मान लोकतंत्र का सम्मान है, लोकतंत्र में जन प्रतिनिधि प्रथम है, उनके आदर में कार्यपालिका के लोगों को खड़े होकर अभिवादन करनाचाहिए”!