■ हिंदी साहित्य के प्रचार प्रसार के प्रति अनूठे योगदान के लिए प्रो. (डॉ) सदन कुमार पॉल को सदैव याद किया जाएगा- विवेक बादल वाजपुरी संस्थापक बुलन्दी साहित्यिक सेवा समिति
घनश्याम सिंह
समाचार सम्पादक
दैनिक अमर स्तम्भ
संबलपुर (ओडिशा)
विद्यार्थी जीवन में शिक्षक एक ऐसा महत्वपूर्ण व्यक्तित्व होता है जो न केवल अपने ज्ञान, धैर्य, प्यार और देखभाल से पूरे जीवन को आकार देता है बल्कि उनमें अच्छे व्यक्ति बनने का बीज भी बोता है। प्राचीन युगों से गुरु शिष्य परंपरा चलती चली आ रही है। जिस प्रकार गुरु द्रोण की पहचान अर्जुन से है उसी प्रकार अर्जुन की पहचान गुरु द्रोण से है। शिक्षक बिना किसी स्वार्थ विद्यार्थी के जीवन को बनाने में अपना योगदान सदैव देता है। उनके समर्पित कार्य की तुलना किसी अन्य कार्य से नहीं की जा सकती है l विजय और सफलता पाने के लिए हर व्यक्ति ज्ञान देता है, परंतु शिक्षक विजय और सफलता के साथ-साथ इंसान बनने पर भी अधिक बल देता है l अपने पूरे जीवन को समर्पित कर सारे विद्यार्थियों को निर्देशित और शिक्षित करने के द्वारा अच्छे समाज का निर्माण करने की सलाह देने वाले प्रोफेसर डॉ सदन कुमार पॉल का व्यक्तित्व किसी परिचय का मोहताज नहीं है, देश विदेश में हिंदी साहित्य के प्रचार प्रसार का डंका बजाकर बर्ल्ड रिकार्ड बना चुकी बुलन्दी साहित्यिक सेवा समिति के संस्थापक विवेक बादल वाजपुरी ने कहा कि हिंदी साहित्य के प्रचार प्रसार के प्रति अनूठे योगदान के लिए प्रो. (डॉ) सदन कुमार पॉल को सदैव याद किया जाएगा,कहा कि
अति सामान्य होते हुए भी अपने विचारों और कार्यों से प्रोफेसर पॉल आज हिंदी जगत में भीष्म पितामह के स्थान में आसीन हैं l उनका हिंदी साहित्य के प्रति योगदान अनूठा रहा है,उन्होंने अक्टूबर 1984से फरवरी 1986 तक श्री राधाकृष्ण हिन्दी विद्यालय बालेश्वर ओड़िशा,
05/08/1986से 06/09/87 कालिमपोंग महाविद्यालय, दार्जिलिंग, 07/09/87से 31/03/88 सरकारी महाविद्यालय राउरकेला, 01/04/87से 25/11/87 तक रमादेवी महिला महाविद्यालय भूवनेश्वर, 26/11/87से30/09/95 रेवेंशॉ महाविद्यालय कटक,
01/10/95से 31/07/2000 पंचायत महाविद्यालय बरगड़, 01/08/2000 से 31/07/2008 सरकारी महाविद्यालय राउरकेला,01/08/2008से 29/02/2016 गंगाधर मेहेर कनिष्ठ महाविद्यालय सम्बलपुर,01/03/2016 से 30/11/2022 गंगाधर मेहेर विश्वविद्यालय, सम्बलपुर आदि में समर्पित सेवा प्रदान की,शैक्षिक अनुष्ठानों में सरकारी रूप कार्य ही नहीं बल्कि अनुष्ठानों की उन्नति के लिए उनका योगदान सराहनीय रहा। अध्यापन की रणनीति से लेकर जीवन की रणनीति तक उनका साथ विद्यार्थियों के प्रति सदैव बना रहा । जीवन की सच्चाई से रूबरू कराने के साथ-साथ मुश्किल परिस्थितियों से आसानी से निकलने का तरीका भी वे सिखाते हैं। हमारे पुराणों में गुरु को भगवान से बढ़कर बताया गया है इसलिए क्योंकि गुरु ही ऐसा व्यक्ति है जो मनुष्य को ईश्वर से अवगत कराया है l अपने कार्यों, विचारों तथा भावनाओं से ईश्वर स्वरूप सदन कुमार पॉल हजारों विद्यार्थियों के लिए आज प्रेरणा बने हैं।