*फ़र्ज़ अदा कर देती हैं बेटियां*
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मां बाप पर हक जताते हैं बेटे,
फ़र्ज़ अदा कर देती हैं बेटियां।
कहते कमजोर होती हैं बेटियां,
कैसे किडनी दे देती हैं बेटियां।
हमेशा आरोप सहती है बेटियां,
कुछ लेने पीहर आती हैं बेटियां।
कौन जाने क्या चाहती हैं बेटियां,
हर रिश्ते को सहेजती हैं बेटियां।
मां बाप के लिए आती हैं बेटियां,
अपनों से प्यार करती हैं बेटियां।
अपनी फिक्र नहीं करती बेटियां,
अपनों के लिए ही जीती बेटियां।
नायाब तोहफा होती हैं बेटियां,
मिशाल कायम करती हैं बेटियां।
हर मिथक तोड़ देती हैं बेटियां,
सब पर जान छिड़कती हैं बेटियां।
अपने लिए नहीं सोचती हैं बेटियां,
रिश्तों पर मर मिटती हैं बेटियां।
*भारतेन्द्र कुमार त्रिपाठी*
*शिक्षक*
*प्रयागराज*