उन्नाव अमर स्तम्भ
विगत दिनों बेमौसम की बारिश ने किसानो की खुशियाँ छीन लिया है, बारिश के साथ हुई ओला वृष्टि से किसानो को भारी नुकसान का सामना करना पड़ा है ऐसे मे किसान का दर्द एक किसान ही समझ सकता है, प्रकति नाही उसे जीने देरही है नही मरने देरही है ऐसे मे करना क्या है कुछ समझ नही आरहा है किसीके भी जो जिसके जहन मे है वो बयाँ नही कर सकता
उन्नाव अमर स्तम्भ
विगत दिनों बेमौसम की बारिश ने किसानो की खुशियाँ छीन लिया है, बारिश के साथ हुई ओला वृष्टि से किसानो को भारी नुकसान का सामना करना पड़ा है ऐसे मे किसान का दर्द एक किसान ही समझ सकता है, प्रकति नाही उसे जीने देरही है नही मरने देरही है ऐसे मे करना क्या है कुछ समझ नही आरहा है किसीके भी जो जिसके जहन मे है वो बयाँ नही कर सकता