इमरान खान संवाददाता
इटावा (दैनिक अमर स्तंभ)
एक्सप्रेस वे पार करके बच्चे जान जोखिम में डालकर स्कूल जाते हैं।
इटावा में जान जोखिम में डालकर हर दिन नौनिहाल स्कूल जा रहे हैं। 3 किलोमीटर की दूरी से बचने के लिए बड़ा रिस्क लेकर हर दिन आवागमन कर रहे हैं। 20 से अधिक बच्चे आगरा-लखनऊ एक्सप्रेस-वे के बीच से निकलकर प्राथमिक विद्यालय जाते हैं।
एक्सप्रेस-वे के डिवाइडर पर लगी सुरक्षा जाली काटकर आम रास्ता बना लिया गया है। बच्चों के साथ-साथ ग्रामीण भी इस रास्ते का प्रयोग करते नजर आते हैं। इस मामले पर एक्सप्रेस-वे के जिम्मेदार भी शायद इस बात से अनभिज्ञ हैं, जिस कारण लंबे अर्से से इतनी स्पीड वाले एक्सप्रेस-वे पर बड़ों के साथ नौनिहाल आवागमन कर रहे हैं।
बसरेहर विकासखंड के अगूपुर गोपालपुरा गांव से गुजरे आगरा लखनऊ एक्सप्रेस-वे पर प्रतिदिन 20 से अधिक नन्हें-मुन्ने बच्चे हर दिन अगूपुर प्राथमिक विद्यालय में शिक्षा ग्रहण करने के लिए जाते हैं। इसके लिए सभी बच्चे एक्सप्रेस-वे के साइड से चढ़कर दोनों तरफ की सड़क क्रॉस करते हैं और बीच में लगी सुरक्षा जाली भी ग्रामीणों ने काटकर रास्ता बना लिया है। इस एक्सप्रेस-वे को साधारण मार्ग की तरह ग्रामीण तो इस्तेमाल तो कर ही रहे हैं इसके साथ साथ ही छोटे-छोटे बच्चे भी स्कूल जाने के लिए निकलते हैं हर दिन इस हाई स्पीड मार्ग पर 150 से 200 की रफ्तार में दौड़ते है वाहन एक्सप्रेस-वे से बच्चों को पार कराने के लिए बच्चों के अभिभावक भी कभी-कभी लाइन लगाकर बच्चों को पार कराते हैं। बच्चों को एक्सप्रेस-वे पर देख तेजी से गुजर रही गाड़ियों को इमरजेंसी ब्रेक भी लगाने पड़ते हैं। एक्सप्रेस-वे के चैनल नंबर 115 और 116 के बीच एक तरफ गांव है तो वहीं एक्सप्रेस-वे के दूसरी तरफ सरकारी परिषदीय स्कूल है।
स्कूल में शिक्षकों ने भी नहीं रोका
गांव से 1 किलोमीटर की दूरी पर एक्सप्रेस-वे के नीचे से आने-जाने के लिए रास्ता दिया गया है, लेकिन गांव और स्कूल के बीच 3 किलोमीटर के फासले से बचने के लिए बच्चे और उनके अभिभावक बेहद ही खतरनाक रिस्क उठाते हुए एक्सप्रेस-वे पार करते हैं। वहीं इसको लेकर जहां बच्चों के अभिभावक जितनी बड़ी लापरवाही दिखा रहे हैं। स्कूल के शिक्षकों के द्वारा भी बच्चों को जान जोखिम में डाल एक्सप्रेस-वे पार करने से नहीं रोका जा रहा है बैरीकेडिंग हटाकर बनाया रास्ता
ग्रामीणों का कहना है कि एक्सप्रेस-वे बनने के बाद बच्चों के स्कूल की दूरी बढ़ गई है। इसके लिए मजबूरी में बच्चों की जान जोखिम में डालनी पड़ती है। अगर गांव के ही विद्यालय में बच्चों का एडमिशन करवा दिया जाए, तो यह खतरा खत्म हो सकता है। वहीं, इस बारे में गांव के प्रधान ने प्रशासन से एक्सप्रेस-वे की कटी बैरीकेटिंग को बंद कराने की मांग की साथ ही बच्चों को पास की पंचायत में शिफ्ट करने की मांग की है प्रधान ने परिजनों को किया जागरूक प्रधान पति अवधेश यादव ने बताया कि पिछले 2 साल से गांव के बच्चों ने एक्सप्रेस-वे से निकलकर स्कूल जाने का काम शुरू किया है। इसको लेकर बच्चों के माता-पिता और स्कूल के शिक्षकों से कई बार मैंने खुद जाकर कहा है कि इस तरह जान जोखिम में डालकर बच्चे एक्सप्रेस-वे से न निकलें, लेकिन इस ओर कोई ध्यान नहीं दे रहा है। इसी तरह चलता रहा तो कभी भी कोई बड़ा हादसा हो सकता है। स्कूल दूर होने की वजह से हमारी शासन प्रशासन से मांग है कि इस गांव के बच्चों को नजदीक के ही दूसरे स्कूल में शिफ्ट किया जाए।
एक्सप्रेस-वे पर जो गलत तरीके से रास्ता बनाया गया है उसे बंद कराया जाए। वहीं बच्चो को रास्ता पार कराने पहुंचे एक बच्चे के पिता बिहारी लाल ने कहा कि हमारे गांव में कोई नजदीक में स्कूल नहीं है। आने-जाने का रास्ता काफी दूर है इसलिए यहां से बच्चों को निकालना पड़ता है। रिस्क तो काफी है, लेकिन सब बच्चे निकलते हैं तो हमारे भी बच्चे निकलते हैं। सीडीओ प्रणता ऐश्वर्या ने बताया कि मीडिया द्वारा मामला संज्ञान में लाया गया है। आज ही गांव में प्रधानों के माध्यम से इस बात को सुनिश्चित कराया जाएगा कोई भी ग्रामीण और छात्र एक्सप्रेस-वे पार करके न जाए। साथ ही यह भी सुनिश्चित किया जाएगा कि स्कूल की दूरी अधिक है तो गांव में ही अन्य स्कूल में छात्रों की व्यवस्था की जाए।