महेश प्रताप सिंह (ब्यूरो चीफ)
कानपुर नगर (अमर स्तम्भ ) / दिनांक 4/4/2023 को संरचना साहित्यिक संस्था के तत्वाधान में वरिष्ठ कवि अशोक कुमार बाजपेई की संवेदना से परिपूर्ण काव्य कृति बेजुबान का लोकार्पण “विश्व बेसहारा पशु दिवस” पर उत्कर्ष अकैडमी स्वरूप नगर कानपुर में संपन्न हुआ। मुख्य अतिथि डॉक्टर राजतिलक ने कहा कि साहित्य समाज का दर्पण है बेजुबान पर लिखी अशोक कुमार बाजपेई की काव्य कृति समाज में अपना एक महत्वपूर्ण स्थान रखेगी और यह काव्य कृति जनउपयोगी साबित होगी। उन्होंने कहा इस पुस्तक को पढ़ने से बेसहारा पशुओं पक्षियों की विकट स्थितियां स्पष्ट दृष्टिगोचर होती है।
पर्यावरणविद् डा. तिलक ने प्रकृति से दुर्व्यवहार को ख़ुदकुशी की कोशिश और जीवन के अस्तित्व के लिये ख़तरे की घंटी बताया। उन्होंने उसके वैज्ञानिक पक्ष, जैवविविधता और क्लाइमेट चेन्ज पर प्रकाश डाला। कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे पूर्व कुलपति डॉक्टर लक्ष्मी कांत पांडे ने कहा की इस कृति में सृष्टि का विकास जिन जीव धारियों से हुआ वह मूक प्राणी थे । हमारे दस अवतारों में प्रारंभिक तीन जलचर थल चर नभचर आते है।आज ये बेजुबान जिनकी कहानियों से हमारा साहित्य भरा है वे उपेछा में जी रहे है । वरिष्ठ कवि अशोक बाजपेई की यह बेजुबान कृति इसी संवेदनशील चेतना का परिणाम है। विशिष्ट अतिथि भूधर मिश्र ने कहा कि बेजुबान कृति में पर्यावरण के साथ साथ निरंतर सचेत परंपरा का निर्वाह किया गया है।इस कृति की सभी की सभी कविताएं बहुत सार्थक हैं। वरिष्ठ कवि डॉक्टर सुरेश अवस्थी ने कहा कि संग्रह की कविताएं मनुष्य को पशु पक्षियों से जोड़ती है तथा उन की पीड़ा व्यक्त करने के साथ हौसला देने वाली है, जिनमें रचनाकार की गहन संवेदना गहरे तक प्रभावित करने वाली है ।
उत्कर्ष अकादमी के निदेशक डॉ प्रदीप दीक्षित ने कहा कि कवि अशोक बाजपेई द्वारा बेजुबान पर पुस्तक लिखना पुण्य कार्य है विशिष्ट अतिथि ने कहा कि मैं तो पुस्तक पढ़कर अभिभूत हूं सार्थक लेखन ही समाज को जोड़ता है। इस कृति को पढ़ने से मानव संवेदनाये जाग्रत हो उठती है। कृति कार अशोक कुमार बाजपेई ने बताया कि इस कृति बेजुबान में 71 कविताएं पिरोई है इस कृति में जहां अनेकों दुश्वारियां दिखाई पड़ती है जहाँ आज पशु पक्षियों पर संकट है यही कल मानवता पर संकट होगा।क्योंकि पशु हमारी संवेदना के वाहक भी है।इस संकट से उबारने के लिए आज आवश्यकता है इन बेजुबान की वाणी बन जाना। गौरैया बचाओ अभियान के संयोजक एवं पर्यावरणसेवी गौरव बाजपेई ने एक सारगर्भित वक्तव्य देते हुए कहा कि आने वाले समय में पानी और वायु का गंभीर संकट उत्पन्न होने वाला है ।जिस तरह आज हम खरीद कर पानी पीते है जिसकी हमारे ऋषि मुनियों ने कल्पना भी नही की थी।उसी तरह वायु के सिलिंडर लेकर लोगो को चलना पड़ेगा।कविता के माध्यम से समाज को जाग्रत करना महान कार्य है। कार्यक्रम का गरिमामई संचालन श्री चक्रधर शुक्ल ने किया एवम वाणी वंदना गीतकार रमेश दीक्षित ने की। स्वागत डॉ अलका दीक्षित ने किया। धन्यवाद ज्ञापन श्री सतीश गुप्ता ने दिया। इस अवसर पर वरिष्ठ साहित्यकार श्यामसुंदर निगम, डॉ गायत्री सिंह (पूर्व प्राचार्या अर्मापुर पी जी कालेज ) डॉ सुषमा सेंगर ,गोपाल खन्ना, बी एम शुक्ला (आई आई टी कानपुर), डॉक्टर विनोद त्रिपाठी, डॉ प्रेम स्वरूप त्रिपाठी , सुरेंद्र गुप्त सीकर, सुरेश राज हंस, राधा शाक्य, डॉ सुधांशु त्रिपाठी, जयराम जय , राजकुमार सचान, रमेश दिक्षित, रवि मिश्रा, शैलेंद्र त्रिपाठी, अरविंद शुक्ला उमा विश्वकर्मा , डॉ जहान सिंह ,लोकेश शुक्ल ,मधु मोहिल सहित बड़ी संख्या में साहित्यकार एवं साहित्य प्रेमी उपस्थित रहे।