पप्पू यादव (ब्यूरो प्रमुख) यूपी
कानपुर (अमर स्तम्भ) / उत्तर प्रदेश संस्कृत संस्थान द्वारा संचालित आनलाइन बीस दिवसीय संस्कृत संभाषण कक्षा का समापन हुआ ।प्रशिक्षक -आचार्य योगेश जी द्वारा शाम 07 बजे यह कक्षा गूगलमीट द्वारा लगातार 20 दिनों तक पढाया गया । यह कक्षाएं प्रातः 08 बजे से रात्रि 09 बजे तक होती हैं कोई भी अपनी सुविधा के अनुसार भाग ले सकता है । जिसमें उत्तरप्रदेश ही नहीं सम्पूर्ण भारत से शिक्षार्थियों ने भाग ग्रहण किया । जिसमें उपासना , विशाखा, अंजली, सुनील जी , भोलानाथ प्राची , महक, आदि 40 प्रतिभागियों नें 07 बजे की कक्षा में नित्य सहभाग किया । संस्कृत बालकों में संस्कारों को पुष्ट करती है, उत्तर प्रदेश संस्कृत संस्थान सम्पूर्णभारत के लोगों को ही नहीं विदेशियों को भी संस्कृत सिखा रहा है । विदेशी भी संस्कृत के प्रति आकृष्ट हो रहे हैं । संस्कृत के विद्वान् डा. नरेन्द्र मिश्र जी ने छात्रों को परीक्षा हेतु शुभकामना दी । उन्होंने संस्कृत की उपादेयता एवं प्रासंगिकता पर प्रकाश डालते हुए कहा संसार के सर्वप्रथम ग्रन्थ ऋग्वेदादि इसी गौरवमयी वाणी में महर्षियों द्वारा भगवान का आन्तरिक प्रेरणा से निर्मित हुए थे। इसी भाषा में अध्यात्म की गम्भीर गुत्थियों को सुलझाने वाले उपनिषदों का प्रणयन हुआ। सृष्टि के विकास-क्रम एवं प्रलय का वर्णन करने वाले इतिहास ग्रन्थ, पुराण आदि का निर्माण भी इसी भाषा में हुआ। हमारे पूर्वज आर्यों की उत्कृष्ट संस्कृति, रीति-रिवाज एवं परम्परा आदि का अवतरण भी इसी सुर भारती में हुआ है। इस प्रकार लौकिक अभ्युदय एवं पारलौकिक निःश्रेयस सिद्धि के साधन जितने ज्ञान-विज्ञान, कर्मकाण्ड, शास्त्र-पुराण आदि हैं, वे इसी देववाणी में अवतरित हुए हैं। अतः हम भारतीयों के लिए ये गौरवपूर्ण है । इसे हम आगे बढाएं । कक्षा का समन्वयन श्री धीरज मैठाणी,जी दिव्यरञ्जन जी राधाशर्मा जी द्वारा किया गया । प्रशिक्षण-प्रमुख श्रीमान् सुधीष्ठमिश्र जी द्वारा मार्गदर्शन प्राप्त हुआ ।