लोकनाथ शंकर सिंह
ओडिशा (दैनिक अमर स्तम्भ) : सरकार द्वारा विद्यालय मैं दिया जाने वाला मध्यान भोजन एक महत्पूर्ण कार्य है। जिस मैं पढ़ाई कर रहे बचो को मुक्त मैं खाना मिलता है, स्कूल मैं मिलरहे खाना थोड़ा बहुत थैली से बच जाता है, जिसको स्कूल के अंदर फेका जाता है, लेकिन दुख का बिसय हे की उस खाने को एक जा पर नहीं फेका जाता है, जिसमें पर्यावरण स्वच्छ नही रहता, साथ ही बहुत सारे कीड़े मोकोड़े वहा जन्म लेते है जिसके कारण पढ़ाई कर रहे बचो का शरीर खराब होता है। अगर बचे हुए खाने को ना फेक कर 3 से 4 छोटा सीमेंट पिंडी निर्माण करके वहां पर इकट्ठा किया जाए और एक स्वतंत्र जगह बनाए जाए, जहां ए खाना को डाला जाए इसमें एक तो भूखे घूम रहे पशु पक्षी उपकृत होनेके साथ पर्यावरण बचेगा और जीव जंतु भी बचेंगे। 1980 से नयागढ़ के रहेने वाले अंतर्यामी साहू, अवसर प्रात तथा पूर्व सिख्यक, मध्यान भोजन सीमेंट पिंडी नाम पर एक मोहिम चला रहे है, जो की एक पुराने साइकल को लेकर ओडिशा से 12 जिले मैं 150 से अधिक स्कूल मैं जाकर 50 हजार से अधिक बच्चों और सिक्यक को इस महत्पूर्ण कार्य को बतानेके साथ साथ शिक्षा दिए हैं। दुसरे तरफ़ इस कार्यक्रम को फॉरेस्ट विभाग, शिक्षा विभाग को करने केलिए प्रेरित करने के साथ लिखित कागज दिए थे, उनके बात को सब ग्रहण और हुदबोध भी कर रहे है, लेकिन कोई इस महान् कार्य को वास्तविक में करने केलिए कोसिस ही नहीं किए जो की बहुत दुख का बिसय हे। उन मैं से ओडोगांव ब्लॉक के सिक्यक श्रीकांत चौधरी, भापुर ब्लॉक, मधपुर यूपी स्कूल के प्रधान सिक्यक महेश्वर साहू, खंडपड़ा, श्रीराम चंद्र हाई स्कूल के सिख्यक और साथी परिवार संस्था के कार्यकर्ता सुब्रत प्रधान आदि ने इस कार्यक्रम को करनेके साथ पूर्ण सहयोग किए हैं। पूर्व सिख्यक तथा 76 वर्ष के अंतर्यामी साहू, अवसर लेने के बाद भी एक नागरिकता का फर्ज निभा रहे है, साथ ही पर्यावरण कैसे बचा रहे उस पर ओह शिक्षा देने केलिए बहुत इच्छुक हैं। श्री साहू को सरकार द्वारा मिल रहे 15 हजार रूपए पेंशन को वो पर्यावरण और पशु पक्षी की सेवा मैं लगा देते हैं। इस कार्यक्रम को जिला कलेक्टर, जिला शिक्षा विभाग, राज्य के मुख्यमंत्री, प्रधान मंत्री को चिटी & ईमेल द्वारा भेजे हैं, लेकिन उस के ऊपर कोई जवाब नही मिला हे। श्री साहू के इस महत कार्य को सरकार ध्यान देकर कार्यकरी करने को अनुरोध किए हैं।