हाय रे अधिक जिम्मेदारियों का बोझ डालकर,पैसों की बचत कर रहा परिवहन निगम

गोमतीनगर सिटी बस अग्नि कांड के सवालों में फस सकते हैं एआरएम

परिवहन निगम अधिकारी को एक पद से अधिक जिम्मेदारी देने पर हुआ हादसा

परिवहन निगम विशेष रिपोर्ट गोमतीनगर नगर सिटी बस अग्नि कांड

लखनऊ (अमर स्तम्भ)। उत्तर प्रदेश के परिवहन निगम राजधानी लखनऊ के गोमतीनगर कार्यशाला से बस निकलते ही कुछ दूरी पर सिटी बस यूपी सीजेड 5421 में आग लग गयी थी। अचानक आग लग जाने से चालक बलदेव और परिचालक विनय त्रिवेदी ऑन ड्यूटी थे। यातायात अधीक्षक प्रशांत दीक्षित को बतौर एआरएम चार्ज दिया गया था।

लखनऊ क्षेत्र में यातायात अधीक्षक को सिर्फ एक ही डिपो नहीं बल्कि चारबाग डिपो, और चारबाग़ प्रबंधन बतौर एआरएम की कमान सौपी गयी है। सिटी बस अग्नि कांड से तेजतर्रार यातायात अधीक्षक प्रशांत दीक्षित सवालों में फसते जा रहे हैं। बतौर मिडिया एजेंसी और सूत्रों की माने तो एक यातायात अधीक्षक एक से अधिक डिपो व बतौर एआरएम एक पद से निर्वाहन करने के साथ तीन जगहों को सुचारु रूप से कैसे देख सकता है? जबकि सही ये है कि एक व्यक्ति पद के अनुरूप एक ही डिपो को सुचारु रूप से देखने के लिए होता है तो एक ही व्यक्ति जब एक से अधिक जिम्मेदारीयों को सभाल नहीं पा रहा तो निगम अधिकारीयों से इतनी बड़ी लापरवाही कैसे हो गयी? गौर तलब हो कि परिवहन निगम के अलाधिकारीयों ने बताया कि सिटी बस का मार्ग पर परीक्षण किया जा रहा था जो कि अद्भुत झूठ सिद्ध हो रहा है। सूत्रों ने बताया कि जब बस कार्यशाला से बाहर आयी तो बस में बिस्फोट की आवाज़ आयी और अचानक देखते ही देखते बस आग का गोला बन गयी। चालक और परिचालक ने परिवहन अधिकारीयों को सूचना दी और मौके पर पहुंचे अधिकारीयों ने बताया कि बस का परीक्षण हो रहा था।

राजधानी के इतने व्यस्त मार्गो पर जहां एक मिनट के लिए ट्रैफिर ठहरने का नाम नहीं लेता तो ऐसे व्यस्त मार्ग पर बस का परीक्षण कैसे हो सकता है? इसका मतलब साफ है कि निगम अधिकारी अपनी नौकरी बचाने के लिए कुछ भी जबाब दें सकते है। निगम अधिकारीयों के लिए मार्ग पर चलने वालों की जान की कोई अहमियत नहीं। आलाधिकारीयों के मार्ग पर बस परीक्षण वाले जबाब से आम जनता में निगम के लिए काफ़ी आक्रोश है और अधिकारीयों के ऐसे जबाब से निगम की छवि भी धूमिल हुई है। मौके पर मौजूद राहगीरों ने बतया कि बस का परीक्षण मार्ग पर कब से होने लगा ऐसा तो अमृतकाल के इतिहास में पहले कभी नहीं हुआ। अगर बस परीक्षण ही कराना था तो एआरएम मौके पर क्यों नहीं थे? जबकि परीक्षण के लिए परिवहन निगम के पास बहुत बड़े बड़े मैदान है उसमें परीक्षण क्यों नहीं काराया गया? व्यस्तता से भरे मार्ग पर किस अधिकारी ने आदेश पारित किया आदेश दिखाये? जब परीक्षण हो रहा था तो परिचालक को बैग मशीन क्यों इशू की गयी ऐसा भी इतिहास में पहली बार कभी नहीं हुआ? गोमतीनगर डिपो के एआरएम प्रशांत दीक्षित को जनता के सभी सवालों का जबाब देना होगा। अगर यही सिटी बस में यात्री बूढ़े-बुजुर्ग,बच्चे, महिला,युवा विद्यार्थी होते और अचानक ऐसा हादसा हो जाता तो कौन जिम्मेदार होता? इसलिए इस सिटी बस अग्नि कांड की जांच परिवहन मंत्री दयाशंकर सिंह को स्वयं करनी चाहिए। जिससे परिवहन निगम में लापरवाही करने वाले अधिकारीयों को एक सीख मिल सके।

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