प्रेम रंग में रंग दो मुझको,
मैं सदा तेरी ही होना चाहूं,
ऐसा गाढ़ा रंग चढ़ाना मुझ पर,
जन्म – जन्म की प्रीत निभाऊं।
अब तक तो दो प्राण,दो तन हैं,
सप्तशदी के फेरे लेकर,मांग सिंदूरी प्रियतम भर दो।
उस सिंदूरी छांव तले मैं,
आज प्रिया से तेरी संगिनी हो जाऊं।
चाहत के धागों से तेरी
बुन लिया जीवन का ताना – बाना,
इस सफर के हर मोड़ पे साजन
तुम बस मुझे ऐसे ही चाहना।
प्रिया – प्रियतम से जीवन साथी बन कर
प्रीत की रीत निभा मेरे संग दो,
इंद्रधनुषी रंगों सा प्रेम हमारा
मुझे फिर अपने प्रेम रंग में रंग दो।।
सुनीता गर्ग मथुरा