सदा सुहागन का वरदान मांगने आई हूं // उमा पुपुन की लेखनी से
तीज का आया पावन त्यौहार,
ओढ़ी लाल चुनरी किया मैंने सोलह श्रृंगार …
भोले शंकर ,मां पार्वती के द्वारे आई हूं,
सदा सुहागन का वरदान मांगने आई हूं.
जैसे प्रभु आप गौरा के संग विराजे,
मैं “उमा”अपने “शंकर” नाम जन्म जन्म साजे..
जैसे चांद से शोभित है चांदनी,
सूर्य से शोभित उसकी किरणी,
जल से शोभित जल कुमुदिनी,
वैसे ही इनसे शोभे मेरे दिल की धमनी..
अखंड सौभाग्य का वरदान दीजे प्रभु,
आंचल पसार तेरे द्वारे विनती करने आई हूं..
मां पार्वती ने प्रभु कितने तप से आपको पाया,
मैंने भी मन्नत की आपसे,इनको जीवन साथी रूप में पाया..
हे भोलेनाथ,मेरे सिंदूर की लाली हमेशा चमकती रहे,
जैसे मां गंगा की धारा यूं ही बहती रहे,
प्रेम परस्पर हमारा रजनीगंधा सा सुगंधित रहे,
फल, फूल,नैवेद्य,धूप दीप से करती हूं आपकी आराधना,
जन्म जन्म का साथ बना रहे अपना,
जुग जुग जिए मेरा सजना….
उमा पुपुन की लेखनी से
रांची,झारखंड