. कहाँ रहा अब वो संडे
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परिवार के चार सदस्य
सनडे में बैठे साथ
सबके सब खामोश हैं
मोबाइल है हाथ
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देख रहे व्हाट्सअप ट्विटर
बात करें अब वो क्या
सब कुछ सब उपलब्ध है
बस भाव नहीं तो क्या
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खाने को उपलब्ध हैं
कुछ ऐसे वो ऐप
वंचित माँ की रोटी से
ममता में हो रहा गैप
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क्या ग्राउंड पे खेलने जाएं
बच्चे मिलकर आज
बैठ मोबाइल पर खेल रहे
क्यों करना कोई काज
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लाज शर्म भी कम हुआ
रील बन रही डेली
देख फालोवर मम्मी पापा
समझें बिटिया नहीं अकेली
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पिया संग पर संग नहीं
है कैसा अहसास
चुप मानो हों सौत संग
ज्यों मोबइल हों पास
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खाली नहीं कोई कहीं
जो आपस में बतियायें
कहाँ रहा अब वो संडे
जो खूब ठहाके लगाएं
ज्ञानेंद्र नाथ पाण्डे’सरल’
सहायक आबकारी आयुक्त
ए डी एस आसवनी बुलन्दशहर