■ *मल्हौसी के राज परिवार द्वारा निर्मित अत्यंत प्राचीन काली माता मंदिर पर लगता है विशाल मेला*
■ *पुलिस व राजपरिवार के उत्तराधिकारी रोहित सेंगर की चाक चौबंद व्यवस्था में कई जनपदों से आये श्रद्धालु*
घनश्याम सिंह/सचिन गुप्ता
दैनिक अमर स्तम्भ
औरैया
जनपद के बेला थाना क्षेत्र के ग्राम मलहौसी में अत्यंत प्रचीन काली देवी मंदिर में नवरात्र पर्व के समापन पर भव्य मेले का शुभारंभ हुआ।।
नवरात्र के अंतिम दिन दुर्गा नवमी पर माता के मंदिरों में जय माता दी के बोल के साथ माता के जयकारे सुबह से लेकर देर शाम तक गूंजते रहे। नवरात्र व्रत रख रहे श्रद्धालुओं ने पूर्णाहुति के साथ अनुष्ठान पूरा किया और व्रत तोड़ा। जगह-जगह हवन-यज्ञ और भंडारों का आयोजन भी श्रद्धालुओं द्वारा किया गया। श्रद्धालुओं ने मां सिद्धदात्री की पूजा अर्चना की। घरों में कन्या लांगुराओं को भोजन कराकर उन्हें उपहार भी दिए गए।
पिछले दिनों से नवरात्र पर्व को लेकर धार्मिक माहौल दुर्गा नवमी पर और भी व्यापक नजर आया। सुबह से ही मातारानी के मंदिरों पर श्रद्धालुओं की भीड़ लगी रही और माता के जयकारों के मध्य पूजा अर्चना का सिलसिला चलता रहा। मलहौसी देवी पर पूजा अर्चना के लिए भीड़ का रूप देखते ही बना। महिलाओं के साथ पुरुष और बच्चे भी पूजा अर्चना में तल्लीन थे। इस मध्य माता सिद्धीदात्री का जलाभिषेक व पूजा अर्चना की गई,
मल्हौसी के राजपरिवार द्वारा स्थापित ऐतिहासिक व अत्यन्त प्राचीन काली माता मंदिर पर श्रद्धालुओं ने माता का श्रृंगार कर उन्हें पोशाक और चुनरी पहनाई तथा महिलाओं ने सुहाग और श्रृंगार का सामान भी अर्पित किया। पूजा अर्चना के साथ मंदिर पर प्रसाद वितरण की भी होड़ दिखाई दी। पूजा अर्चना के साथ श्रद्धालुओं ने बीमारियों के प्रकोप के मध्य सभी के उत्तम स्वास्थ्य की प्रार्थना भी की।
उधर देवी मंदिर परिसर के बाहर विशाल मेले का भी आयोजन किया था,लोगों की माने तो यह मंदिर की देवी बहुत सच्ची है एवं यहाँ की हर मुराद पूरी होती है।मेले में बच्चों के खिलौने व झूले व खाने पीने का उचित इंतजाम था, मेले में विगत वर्षों की अपेक्षा इस वर्ष बेहतर इंतजाम किए गए सुरक्षा व्यवस्था के लिए पुलिस और राज परिवार के उत्तराधिकारी रोहित सेंगर की देखरेख में स्वयंसेवकों का चुस्त दुरुस्त इंतजाम देखा गया, अत्यंत ऐतिहासिक व प्राचीन काली माता मंदिर मदहोशी पर मेला आयोजन के संबंध में मदहोशी स्टेट के उत्तराधिकारी रोहित सेंगर ने बताया कि यह मंदिर उनके पूर्वजों ने करीब 400 वर्ष पूर्व परिवार के परिवार की पूजा अर्चना के लिए बनवाया था बाद में श्रद्धालुओं की आस्था जागृत हुई तो यहां दूर-दूर से श्रद्धालु आने लगे उन्होंने बताया कि यहां पर वर्ष में दो बार मेले का आयोजन होता है जिसमें कई जनपदों से श्रद्धालु अपनी मन्नतें मांगने व दर्शन के लिए आते हैं यहां पर मेले में लकड़ी की वस्तुएं बर्तन व विभिन्न प्रकार के ग्रह उपयोगी वस्तुओं का बड़ा व्यापार होता है।।