तूं मुझे से नजर मिला लें तो मै,
तेरे ईश्क की ज़ाम छलका दूं,
तूं मेरे पास आ जायें तो मै,
तेरे ईश्क की महफ़िल सजा दूं।
तूं मेरे पास रहे जायें तो मै,
इस पतझड़ में बसंत महका दूं,
तेरा सुंदर चहेरा देखकर मै,
चांद को भी बादलों में छूपा दूं।
तूं मेरे गले से लग जायें तो मै,
तेरे ईश्क की बारिश बरसा दूं,
तूं शबनम मेरी बन जाये तो मै,
मैखाने में अति शोर मचा दूं।
तू मेरे ईश्क में डूब जाये तो मै,
तुझे मेरे दिल में कायम बसा दूं,
सपनों के ताज महल में “मुरली”,
तेरी संगमरमर की मूरत बना दूं।
धनज़ीभाई गढीया”मुरली” (ज़ुनागढ-गुजरात)