मौन है स्त्री,
निशब्द नहीं।
आवाज है,
बस बोलती नहीं।
जज़्बात है,
मुंह खोलती नहीं।
चाहत है पर,
किसी से उम्मीद नहीं।
पहल ना करती पर,
किसी से डरती नहीं।
जीत की चाह नहीं,
हार मानती नहीं।
आइना है पर,
बिखरती नहीं।
दर्द से भरी है पर,
जीना छोड़ती नहीं