१,पिता राम अवतार हैं, माता सीता जान।
घर में सीता राम हैं, तू इनको पहचान।।
२,पितु ने ही जीवन दिया, पूर्ण कीन्हों मात।
नौ मास परिपूर्ण कर यहु जग हमें दिखात।।
३,मैंने पूछा था प्रभू, कैसा होता स्वर्ग।
प्रभु ने मां की गोद दी, पिता हाथ उत्सर्ग।।
४,जन्म मूल कारण पिता, श्रेष्ठ दियो है गात।
मात पिता को पूज लो, पिता राम सिय मात।।
५,मात पिता से है बड़ा, नहिं कोई भगवान।
मात पिता को पूजले, सबकी पूजा मान।।
६,मात पिता को जानिए, पूर्ण ब्रह्म अवतार।
कृपा मात पित की हुई, देख्यो यहु संसार।।
७,पितु के कर में हाथ हो,मनु प्रभु पकरी बांह।
मात पिता की छांव सम, है नहिं दूजी छांह।।
८, मात पिता सुख कारने, प्रभू लियो अवतार।
मात पिता को पूजले, यह है जग का सार।।
९,मां दूजी मिल जायगी, पितु नहिं मिलें अनेक।
खोने पर वह ना मिले, पितु चरणन सिर टेक।।
१०,पिता प्रभू से है बड़ा,नभ से ऊंचा होय।
माता पृथ्वी से बड़ी,यहु जाने सब कोय।।
११,मन में होवे रात दिन, मात-पिता की गूंज।
जो इनकी सेवा करे, मिलती आशिष पूंज।।
१२,मात पिता जीवन दिया धन्य हुए हम भ्रात।
गुरू कृपा के कारने,हम भी हैं विख्यात।।