मो.फारुक संवाददाता।
पुरवा/उन्नाव (दैनिक अमर स्तम्भ) 167 विधानसभा क्षेत्र पुरवा की चालीस मजरो वाली चर्चित ग्राम पंचायत मवई में गंभीर पेयजल संकट है यहां के ग्यारह मजरे ऐसे है जहां लोग बूंद-बूंद पानी के लिए तरस रहें हैं। समस्या पिछले दो साल से है। खास बात यह कि सत्तादल के एक कार्यकर्ता ने शासन प्रशासन को अनगिनत पत्र लिखे अफसोस जनक यह कि समस्या का जस की तस बनी है।
– ढाई साल से समस्या निदान हेतु दर्जनों चिठ्ठी।
– जिम्मेदारी से भाग रहे जल निगम और ग्राम विकास विभाग।
– स्थानीय राजनीति भी कम नहीं जी का जंजाल बनी समस्या।
– मुख्य मंत्री से लेकर प्रधान मंत्री कार्यालय तक चिठ्ठी।
बीस हजार से अधिक आबादी और 40 मजरों वाली हाहाहुती ग्राम पंचायत मवई में एक सैकड़ा से अधिक इंडिया मार्क हैंड पम्प हैं जिनमें से 40 हैंडपंप डेढ़ साल से खराब पड़े हैं लाल फीता शाही रवैए की शिकार हो चुकी ग्राम पंचायत की दुर्दशा शब्दों में बयां नहीं की जा सकती जटिल हो चुकी बुनियादी समस्या के सवाल पर ग्रामीणों ने बताया कि जब हैंडपंप लगाए गए थे उस समय जल स्तर जितनी गहराई में था अब नहीं है।जल स्तर नीचे चले जाने से रीबोर ही एक मात्र उपाय है खर्च अधिक होने के कारण ग्राम विकास विभाग ने अपने हाथ खड़े कर दिए। चूंकि सभी हैंडपंप ग्राम पंचायत के अधीन हैं लिहाजा जल निगम भी जिम्मेदारी से बच रहा है।
जल निगम व ग्राम विकास की दुरभि संधि के चलते ग्रामीण बूंद बूंद पानी के लिए तरस रहें हैं।मवई निवासी भाजपा कार्यकर्ता सर्वेश कुमार पांडेय ने बताया कि ब्लाक से लेकर प्रधान मंत्री कार्यालय तक पत्रकार कर चुके हैं मगर नतीजा अब तक ढाक के तीन पात है पाण्डेय की मानें तो कई महत्व पूर्ण स्थान ऐसे है जहां सैकड़ों लोग अपनी प्यास बुझाते थे। हैरानी की बात यह कि प्रत्यावेदन दिए जाने पर जांच होती है मगर समस्या का समाधान नहीं होता। अधकारियों के रवैए से हम सभी निराश हो चूके हैं।
चालीस में से ग्यारह में गंभीर संकट।
पुरवा। ब्लाक हिलौली की भारी भरकम ग्राम पंचायत मवई के 40 मजरों में से 11 में सर्वाधिक पेयजल संकट है मुख्य रुप से हिमी खेड़ा, अमलिहा खेड़ा, हरीवंश खेड़ा, हुलाशी खेड़ा, बारी
खेड़ा, कोरवा, निहाली खेड़ा,भूप खेड़ा आदि के लोग बूंद बूंद पानी के लिए तरस हैं।
दो कौड़ी की साबित हुई पेयजल योजना।
पुरवा। गंभीर पेय जल संकट के निदान हेतु भारत सरकार की हर घर जल हर घर नल योजना भी सफेद हाथी साबित हुई ग्रामीणों की मानें तो पानी की टंकी बनने के शुरुवाती दिनों में सबका गला तर हो रहा था मगर योजना स्थानीय राजनीति की भेंट चढ़ गई। डेढ़ साल से पानी की टंकी भी बंद है। तमाम प्रयासों के बाद भी ग्रामीणों को उनके हक का पानी उन्हे मयस्सर नहीं हो रहा।
चिंधी चिंधी हो गया सबका साथ सबका विकास का नारा।
पुरवा। सबका साथ सबका विकास सत्ता दल का लोक लुभावन स्लोगन है बाद में भाजपा ने इसमें सबका विश्वास जोड़ा। स्लोगन की हकीकत से रुबरु होना हो तो मवई से बेहतर कहीं नहीं मिलेगा। खास यह कि मवई के आसपास सत्ता से जुड़े कई बड़े नाम निवास करतें हैं। ग्रामीणों मानें तो जन समस्या को नजरंदाज भविष्य में मंहगा साबित होगा।