गुरु शिष्य के आध्यात्मिक सम्बन्ध का महापर्व गुरुपूर्णिमा मनाया श्रद्धा भाव के साथ।

जे पी शर्मा / स्थानीय संपादक , दैनिक अमर स्तम्भ

जयपुर। गुरू और शिष्य के आध्यात्मिक संबंध का महापर्व गुरू पूर्णिमा आषाढ़ पूर्णिमा रविवार को श्रद्धा और विश्वास के साथ मनाया गया ।छोटीकाशी के शिष्यों ने अपने गुरू चरण का पूजन कर आशीर्वाद लिया। मठ-मंदिर और आश्रम रविवार को गुरु वंदना से गूंजायमान रहे। नए शिष्यों को उनके गुरुओं ने कंठी दीक्षा प्रदान की। इसी कड़ी में गायत्री शक्तिपीठ ब्रह्मपुरी में गुरु पूर्णिमा महोत्सव धूमधाम से मनाया गया। राजधानी के कोने-कोने से आए गायत्री परिजनों ने वेद माता मां गायत्री के दर्शन कर गुरु सत्ता के समाधि स्थल पर प्रणाम किया। व्यास पीठ से डॉ. अजय भारद्वाज ने कहा कि गुरु पूर्णिमा का पर्व एक शिष्य के जीवन का सौभाग्य है। गुरु के आदेश और निर्देश पर चलना ही शिष्य के जीवन का लक्ष्य होना चाहिए। दिनेश आचार्य और दिनेश मराठा ने गुरू महिमा गुणगान किया। एक हजार से अधिक श्रद्धालुओं ने विश्व कल्याण की कामना के साथ गायत्री एवं महामृत्युंजय मंत्र के साथ यज्ञ में आहुतियां अर्पित की। शक्तिपीठ के व्यवस्थापक सोहन लाल शर्मा ने बताया कि इस मौके पर समाधि स्थल सजल श्रद्धा और प्रखर प्रज्ञा पर गुरु चरण पादुका पूजन किया गया। मनु महाराज और गायत्री प्रसाद ने नए साधकों को गुरू दीक्षा दी । यज्ञोपवीत, पुसंवन, नामकरण सहित अन्य संस्कार भी कराए गए। उल्लेखनीय है कि रविवार को शक्तिपीठ से सटे राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय में प्रतियोगी परीक्षा का आयोजन था। गायत्री परिवार ने नैतिक जिम्मेदारी समझते हुए ध्वनि विस्तार यंत्र की आवाज बहुत कम रखी। परीक्षा के बाद बड़ी संख्या परीक्षार्थियों ने भी यज्ञ में आहुतियां अर्पित की। अखिल विश्व गायत्री परिवार शांतिकुंज हरिद्वार के तत्वावधान में मानसरोवर स्थित श्री वेदमाता गायत्री वेदना निवारण केंद्र में
गुरु-शिष्य परंपरा का अनुशासन पर्व गुरू पूर्णिमा महोत्सव श्रद्धा और विश्वास के साथ मनाया गया। गायत्री परिवार राजस्थान के प्रभारी ओम प्रकाश अग्रवाल ने गायत्री परिवार के प्रमुख डॉ प्रणव पंड्या के संदेश को पढ़ कर सुनाया। वेदना निवारण केंद्र के व्यवस्थापक आर डी गुप्ता ने बताया कि रविवार को सुबह गुरु पूजन के बाद नौ कुंडीय यज्ञ हुआ। बड़ी संख्या में नए साधकों को गुरु दीक्षा दी गई। कई अन्य संस्कार भी हुए। भारत को विश्व गुरु बनाने की कामना के साथ विशेष आहुतियां अर्पित की गई। लोगों को तरु प्रसाद के रूप में पौधा भेंट किया गया। हरियाली अमावस्या पर एक पौधा मां के नाम लगाने का आह्वान भी किया गया।
गायत्री शक्तिपीठ कालवाड़ में गुरु पूर्णिमा महोत्सव पर विभिन्न कार्यक्रम हुए।। मुख्य ट्रस्टी धर्मसिंह राजावत ने बताया कि सुबह जप अनुष्ठान के पंच कुंडीय गायत्री महायज्ञ एवं संस्कार महोत्सव हुआ। इसके बाद 108 कुंडीय गायत्री महायज्ञ एवं प्राण प्रतिष्ठा महोत्सव के संदर्भ में गोष्ठी हुई।
गायत्री शक्तिपीठ वाटिका में गुरु पूर्णिमा में पंच कुंडीय गायत्री महायज्ञ हुआ और नए साधकों को गुरू मंत्र की दीक्षा दी गई । गायत्री चेतना केन्द्र जनता कॉलोनी, दुर्गापुरा, वैशालीनगर, मुरलीपुरा, गांधीनगर, प्रतापनगर, मालवीयनगर में भी गुरु पूर्णिमा महोत्सव भक्तिभाव से मनाया गया।

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