गायत्री शक्तिपीठ ब्रह्मपुरी में पांच जिलों के परिजनों ने लिया यात्रा को सफल बनाने का संकल्प
जयपुर। अखिल विश्व गायत्री परिवार की ओर से राजस्थान प्रदेश के 45 हजार गांवों में विचार क्रान्ति का संदेश देने के लिए इसी साल सितंबर माह से 2026 तक शक्ति कलश यात्रा निकाली जाएगी। शांतिकुंज हरिद्वार से 13 रथ सितंबर माह के प्रथम सप्ताह में पुष्कर आएंगे फिर अलग अलग जिलों के लिए रवाना होंगे। इस आशय का निर्णय मंगलवार को गायत्री शक्ति पीठ ब्रह्मपुरी में आयोजित जयपुर उप जोन की बैठक में लिया गया। वेद माता मां गायत्री , पंडित श्री राम शर्मा आचार्य, भगवती देवी शर्मा के चित्र के समक्ष दीप प्रज्ववलन के साथ शुरू हुई संगोष्जठी में जयपुर, टोंक ,सीकर, नीमकाथाना जिलों से 300 से अधिक गायत्री परिजन शामिल हुए। जिला समन्वयकों ने अपने जिले में शक्ति कलश यात्रा से जुड़ी तैयारी से अवगत कराया। मुख्य अतिथि शांतिकुंज हरिद्वार से आए गौरी शंकर सैनी ने कहा कि जहां हम नहीं पहुंच पाए वहां ज्योति कलश पहुंचेगा। यात्रा के माध्यम से जन जन तक गुरुसत्ता के विचारों को पहुंचा सकतें हैं। यह बड़ी योजना है इसलिए बड़ा सोचना होगा। लक्ष्य तय कर योजना बनाना है और उसे क्रियान्वयन करना है। योजनाबद्घ तरीके से काम करेंगे तो अवश्य सफल होंगे। उन्होंने कहा कि एक लाख राम और एक लाख कृष्ण तब तक आपका भला नहीं कर सकते जब तक खुद को बदलने के लिए तैयार नहीं होते। जब निराशा का भाव आए तो प्रेरक साहित्य पढ़े। आदमी गलती करता है तो उसे नजरअंदाज करें , खुद की कमी देखें और ठीक करें। कमियों को डायरी में नोट करने की आदत डाले। सभी को अपनी कमियों पर गौर करने का सतत अभ्यास करना चाहिए। सामने वाले की बुराई नहीं अच्छाई देखनी चाहिए। प्यार से बुराई सुधारी जा सकती है। डांट से कोई किसी को नहीं सुधार सकते। उन्होंने गायत्री परिवार प्रमुख शैल बाला पंड्या के संदेश परस्पर आदर भाव रखें, अपनी भूल को स्वीकार करें, आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप नहीं करें को गायत्री परिजनों के समक्ष रखा। हम सभी भाई बहन हैं कोई बड़ा छोटा नहीं है। सद्कर्मों की अंदर से हुक उठे तो भगवान भी मदद करने के लिए तैयार रहते हैं। सैनी ने कहा कि आज का समय ही सही समय है। अच्छे समय का इंतजार मत करो। यदि कहीं भी विवाद खड़ा हो जाए तो सम्मान पूर्वक तरीके से निपटाए। हमारी जितनी भी समस्या है उनका समाधान नियमित स्वाध्याय है। परिवार के लोग मिल कर स्वाध्याय करें। सभी ने छह बातों का संकल्प लिया। विशिष्ट शांति कुंज से आए अतिथि मोहन लाल गौतम ने कहा कि जीवन में सौभाग्य आते रहे हैं और आते रहेंगे। लाभ तभी होगा जब उन्हें जीवन में उतारे। हम आजादी का इतिहास पढ़ते हैं कि काश हम भी उस समय होते। अवसर पहचान कर पकड़ने की आवश्यकता है। अन्यथा पछतावा ही होगा। परम वन्दनीय माताजी, अखंड ज्योति और गुरुदेव के अनुष्ठान शुरू करने की शताब्दी अपने जीवन काल में आई है। यह हम सबका सौभाग्य है। लंका कूच के समय रीछ वानर चारों दिशा में गए थे। आज संस्कृति की सीता का हरण हो गया। हमें उन्हें खोज में अपनी भूमिका तय कर नियोजित करना होगा। शताब्दी समारोह में ज्योति कलश यात्रा निकाली जाएगी। कलश यात्रा घर घर जाएगी। राजस्थान के सभी जिलों, तहसील और 45 हजार गांव में 13 रथ भ्रमण पर निकलेंगे। कार्य ज्यादा है समय कम है इसलिए अधिक सामर्थ्य दिखाने की आवश्यकता है। सभी 13 रथ शांतिकुंज से राजस्थान आएंगे और भ्रमण पर जाएंगे। शक्ति कलश के रूप में गुरुदेव का यश शरीर आ रहा है। उनका स्वागत करना है। साथियों के मन में उत्साह जगाएं, कोई पीछे नहीं रहे। हमारा काम इतना ही है कि जहां विचार क्रांति की चिंगारी नहीं पहुंची वहां पहुंचाना है। पूर्व तैयारी अभी से करनी है। इसके टोली बनाई जाए। इस कार्य में हर व्यक्ति का समयदान और अंशदान लगना चाहिए। युग चेतना विस्तार के लिए हर घर से लोग निकलने चाहिए। हम बदलेंगे युग बदलेगा का उद्घोष करते हुए निकल पड़ना होगा। जो इस कार्य में जुटेगा उसका बेड़ा पार होना सुनिश्चित है। संगोष्ठी को गायत्री परिवार राजस्थान के समन्वयक ओमप्रकाश अग्रवाल, जयपुर उप जोन समन्वयक सुशील कुमार शर्मा, वरिष्ठ कार्यकर्ता सतीश भाटी, डॉ प्रशांत भारद्वाज ने भी संबोधित किया। प्रारंभ में गायत्री शक्तिपीठ ब्रह्मपुरी के व्यवस्थापक सोहनलाल शर्मा, सह व्यवस्थापक मणि शंकर चौधरी, केदार शर्मा, धर्म सिंह राजावत, संतोष गुप्ता , रणवीर चौधरी, भैरूलाल जाट एवं अन्य ने वरिष्ठ प्रतिनिधियों का दुपट्टा पहना कर स्वागत किया। गायत्री कचोलिया, दिनेश आचार्य ने प्रज्ञा गीतों की प्रस्तुतियां दी।