छुरा (अमर स्तम्भ)। जय मां गायत्री जन कल्याण समिति छुरा के तत्वाधान में मां गायत्री शक्तिपीठ छुरा प्रांगण पर होली मिलन समारोह मनाया गया। समारोह में अतिथि के रूप में वयोवृद्ध श्रीमती महेतरीन सेन, श्रीमती रमा यदु, श्रीमती राम बाई सिन्हा, वरिष्ठ संगीतकार चतुर सिंह दीवान, प्रभुलाल सिन्हा एवं वरिष्ठ लोकगीत गायक सेवानिवृत्त व्याख्याता के.आर. सिन्हा मंचासीन थे। अतिथियों द्वारा मंत्रोच्चारण के साथ वेदमाता गायत्री, वीणापाणी मां सरस्वती एवं श्री राधाकृष्ण के छाया चित्र पर अक्षत गुलाल लगाकर दीप प्रज्वलन किया गया। वेद मंत्रों के साथ 33 कोटि देवी देवताओं का आह्वान किया गया। समिति अध्यक्ष वरिष्ठ व्याख्याता के.के. साहू द्वारा स्वागत प्रतिवेदन वाचन कर समिति निर्माण के उद्देश्यों को विस्तार से बताया गया। सेवानिवृत्त व्याख्याता के.आर. सिन्हा द्वारा होली पर्व की महत्ता पर प्रकाश डाला गया। आदिकाल में दैत्यराज हिरण्यकश्यप और महारानी कयाधु के चार पुत्र प्रह्लाद, अनुहलाद, संहलाद और हलाद हुए। प्रहलाद श्री हरि नारायण के परम भक्त थे। प्रहलाद की अगाध भक्ति से बुराई रूपी होलिका का दहन हुआ। उन्होंने आगे कहा कि होली पर्व पर डंडा नृत्य और फाग गायन किया जाता है। डंडा का जन्म कार्तिक एकादशी को हुआ था। डंडा नृत्य के विभिन्न प्रकार हैं जिसमें बालक रूप को पिलोंदवा कहा जाता है। उन्होंने पारंपरिक गीतों के द्वारा कंटीपी, छर्रा, झूलन तर्ज पर राधा कृष्ण की लीलाओं का वर्णन किया। संगीतकार चतुर सिंह दीवान ने हिंदी पंचांग में मनाए जाने वाले विभिन्न तीज त्योहारों को कैसे मनाया जाता है, क्यों मनाया जाता है पर प्रकाश डाला। उन्होंने आगे कहा कि शास्त्रों में चार रात्रि का वर्णन है जिसमें धार्मिक अनुष्ठान, ध्यान, सत्संग करने से विशेष फल मिलता है। कालरात्रि, महारात्रि, नवरात्रि और दारूण। दारुण अर्थात फाल्गुन पूर्णिमा को अग्नि द्वारा सारे कष्टों, दुर्गुणों को समन की रात्रि। जिसे हम होलिका दहन के रूप में मनाते हैं। इस दिन गेहूं की बालियों को भूनकर देवी देवताओं को अर्पण की जाती है। आमंत्रित डंडा नर्तक दल द्वारा कुहकी के साथ पारंपरिक गीतों, भजनों द्वारा मनमोहक डंडा नृत्य प्रस्तुत किया गया। नर्तक दल द्वारा प्रमुख रुप से श्री कृष्ण जी की बाल लीला, कंस वध, असुर वध, कालिया नाग का मान मर्दन, सुदामा चरित्र, राधा कृष्ण के प्रेम, भक्ति को नृत्य के माध्यम से प्रदर्शित किया गया। डंडा के विभिन्न प्रकारों को गा_गाकर जनसमूह को नाचने पर मजबूर कर दिया। तत्पश्चात समिति के सदस्य ओमप्रकाश यादव, अर्जुन धनंजय सिन्हा एवं विनोद देवांगन द्वारा नगाड़ों की मधुर थाप के साथ फाग गीत गाया गया। गायत्री परिवार के परिजन सपरिवार इस समारोह का आनंद लेते हुए भाव विभोर हो गए। इस कार्यक्रम का लुत्फ उठाने इंदौर से आए हुए संतजन सम्मिलित हुए। उन्होंने कहा कि ऐसा गीत संगीत हमने कभी नहीं देखा था, हम अत्यंत आनंदित हुए। आगंतुक डंडा नर्तक दल को श्रीफल, युग निर्माण पुस्तिका, अखंड ज्योति, मंत्र लेखन पुस्तिका और श्री राधाकृष्ण की छाया चित्र भेंट किया गया। सभी अतिथियों को भी सम्मानित किया गया। समारोह का संचालन शिक्षक अर्जुन धनंजय सिन्हा एवं आभार प्रदर्शन व्याख्याता केशव प्रसाद साहू द्वारा किया गया। कार्यक्रम को सफल बनाने में तिजऊ राम साहू, नरसिंग सोम, पुखराज सिंह ठाकुर, ईश्वर साहु, दिलीप यदु, कैलाश पटेल, फिरण सिंह ठाकुर, घनश्याम सिन्हा, श्रीमती दीपाली सारस्वत, सरस्वती सिन्हा, शोभा सारडा, मंजू अग्रवाल, रमा अग्रवाल, लक्ष्मी शाह, वसुंधरा साहु, कल्याणी साहू,खिलेश्वरी सोम, घासीन साहु,शारदा सिन्हा, ललिता साहु, दीपिका पटेल, खुशबूरानी ठाकुर, हेमंत साहू का योगदान रहा। कार्यक्रम में विनोद देवांगन, पोषण वर्मा, मनहरण पटेल, हीरालाल साहू,खिलेन्र्द प्रताप साहू,जय पटेल,कुणाल ठाकुर, कृष्णा सिन्हा, नटेश्वर नायडू, शीतल ध्रुव, पुनीत ठाकुर,रूपनाथ बंजारे उपस्थित रहे।