सुकमा (अमर स्तम्भ)। राज्य में ठेकेदार रूपी खनन माफियाओं से सरकार को राजस्व का काफी नुकसान उठाना पड़ रहा है। जिसके मद्दे नज़र सूबे के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने हाल ही में राज्य में अवैध खनन माफियाओं के खिलाफ सख्त रुख अख्तियार कर कार्यवाही के निर्देश हर जिले को दिए थे। उनमें से एक सुकमा जिला भी है, जो अवैध खनन के मामले में शीर्ष 10 ज़िलों में शुमार हैं। हर दूसरे रोज़ सुकमा में बेहिसाब हो रहे अवैध खनन की खबरें समाचार पत्रों में प्रकाशित होती ही रहती हैं। इसके बाद भी प्रशासन रेत माफियाओं के आगे नतमस्तक है।सुकमा ज़िले के सुकमा, केरलापाल, दोरनापाल, कोन्टा, तोंगपाल जैसे ग्रामीण क्षेत्रों में नियमों का उल्लंघन कर शबरी नदी के बीच में जेसीबी मशीन उतार कर हाईवा, ट्रैक्टर, ट्रकों में भर कर अवैध परिवहन और भंडारण किया जा रहा है। ऐसा नहीं हैं कि प्रशासन को इसकी भनक नहीं, प्रशासन की नाक के नीचे विभागीय अधिकारियों के संरक्षण में रेत का अवैध परिवहन, व भंडारण जारी है।
एक नज़र इन आंकड़ों पर
प्रशासन व विभाग की अनदेखी शासन के राजस्व का कितना बड़ा नुकसान कर रही है जरा इस पर भी गौर करते हैं। सुकमा जिले में प्रशासन ने 4 चिन्हित रेत खदानों की नीलामी करायी है, जिसमें राकेश साहू को सुकमा में प्रस्तावित भूमि हल्का नंबर 00013 के खसरा नंबर 138 में 5 हेक्टेयर, रामप्रताप सिंह को केरलापाल खसरा नंबर 1117 में 4.90 हेक्टेयर, दुर्गा सिंह कोन्टा को F1, F2 के खसरा नंबर 374,622 में 4.40,5.00 हेक्टेयर, चिल्लूरी पद्मावत को इंजरम के खसरा नंबर 174 में 5 हेक्टेयर, जितेंद्र सिंह चौहान को छिंदगढ़ के खसरा नंबर 230 में 5 हेक्टेयर तो वहीं अप्पला नाग हरीश को दोरनापाल के खसरा नंबर 282 में 5 हेक्टेयर रेत खनन की अनुमति दी गयी। जिसका लीज़ मई 2022 तक वैध है। लेकिन ठेकेदारों द्वारा प्रस्तावित से अधिक क्षेत्रफल हेक्टेयर भूमि पर अवैध खनन किया जा रहा है। मामले की जानकारी के बाद भी प्रशासन व विभाग मामले में मूकदर्शक बना बैठा है। ऊपर से खनिज अधिकारियों की अनुपस्थिति रेत खनन माफियाओं को और भी शह दे रही है। यानी प्रशासन को हर दिन अवैध खनन में प्रत्येक घनमीटर पर 150 रुपए, ट्रैक्टर में 5 हज़ार और हाईवा से 25 से 30 हज़ार अवैध परिवहन जुर्माना लिया जाना चाहिए। सुकमा जिले से हर रोज़ 100 से 150 ट्रैक्टर/हाईवा गाड़ियों में रेत भरकर पड़ोसी राज्य ओड़िसा और आंध्र प्रदेश में ले जाकर मोटे दामों में बेचा जाता है। इन आंकड़ों से स्पष्ट अनुमान लगाया जा सकता है कि खनिज विभाग के अधिकरियों के साथ रेत माफियाओं की ज़बरदस्त सांठगांठ है, जिसके चलते राज कोष को बड़ा नुकसान पहुंच रहा है। यह अलग बात है कि अधिकारियों का अपना घर भर रहा है। रेत माफियाओं पर गंभीरता से नियमानुसार कार्यवाही करने पर जो लाभ शासन को मिलता, वह विभागीय अधिकारियों के संरक्षण में माफिया अपने इस गोरखधंधे से विभागीय लापरवाही और ग़ैर ज़िम्मेदाराना कार्य शैली से हर रोज़ राजकोष को बड़ा नुकसान पहुंचा रहे हैं।
विभागीय ज़िम्मेदारों और माफियाओं की सांठगांठ में ऐसा होता है, रेत के अवैध खनन का खेल
प्रदेश में राजस्व की बढ़ोतरी कर अर्थ व्यवस्था को बेहतर करने के उद्देश्य से राज्य सरकार के द्वारा समस्त ज़िलों में रेत खदान का नीलाम कराया गया। परन्तु ठेकेदारों और अधिकारियों की मिलीभगत से राज्य सरकार को राजस्व का बड़ा चूना लगाया जा रहा है। सुकमा में रेत के अवैध भंडारण एवं परिवहन के मामले सामने आने के बाद भी ज़िला मुख्यालय में रेत का अवैध परिवहन बदस्तूर जारी है। ठेकेदार द्वारा प्रतिदिन 15 से 20 ही पिटपास जारी किया जाता है। एक ही पास पर 4 से 5 बार रेत का परिवहन किया जाता है। ठेकेदार द्वारा रोज़ाना एक ही अभिवहन पास से खरीददारों को रेत बेचा जा रहा है। वाहन चालकों की मानें तो एक अभिवहन पास से वे दिन भर में 4 से 5 बार रेत ओड़ीसा लेकर जाते हैं और हर बार ठेकेदार को 600 रुपये चुका कर आते हैं। परन्तु पास एक ही बार मिलता है। ऐसा नहीं कि इसकी जानकारी खनिज विभाग के ज़िम्मेदारों को नहीं है बल्कि अधिकारियों के संरक्षण में ही अवैध खनन व परिवहन को अंजाम दिया जा रहा है। ठेकेदार द्वारा प्रतिदिन 100 से 150 गाड़ी रेत का विक्रय किया जाता है। परन्तु अभिवहन पास 15 से 20 का ही काटा जाता है। ऐसे में अंदाज़ा लगाया जा सकता है कि प्रति ट्रैक्टर 3 घन मीटर रेत के 600 रुपये की दर से किस प्रकार ठेकेदार अपनी जेब भर रहा है। रोज़ाना ठेकेदार द्वारा हज़ारों रुपये राजस्व के रूप प्रशासन को क्षति पहुंचाई जा रही है।
वामपंथी उग्रवाद के नाम पर अवैध खनन का खेल, माफिया ठेकेदारों के हौसले बुलंद
सुकमा में नक्सलवादी गतिविधियां अपेक्षाकृत अधिक हैं, इस बात को नहीं नकारा जा सकता। प्रशासन ने सुकमा में विकास के लिए चिन्हित नक्सल प्रभावित संवेदनशील क्षेत्रों के लिए विकास के आयामों की बेहतरी के लिए सड़क, स्कूल, अस्पताल जैसे बुनियादी ढांचे विकसित करने के लिए नियमों क़ायदों में शिथिलता प्रदान की है, जो क्षेत्र की वर्तमान परिस्थिति के अनुरूप है। ख़ास कर नक्सली बेल्ट में सड़क निर्माण में पूरी तरह छूट दी गई हैं। लेकिन ठेकेदार और माफिया प्रशासन के इसी रियायत को ग़लत तरीक़े से क्रियान्वित कर रहे हैं। विभाग की आंख मिचौली से माफिया ठेकेदारों के हौसले बुलंद हैं। कुछ राजनैतिक संरक्षण प्राप्त हैं, तो कुछ पर अधिकारी मेहरबान हैं। कार्यवाही के नाम पर एक-दो ट्रेक्टरों पर कागज़ी कार्यवाही कर, औपचारिक खानापूर्ति कर, बड़े ठेकेदार व रेत माफिया के खिलाफ जो जुर्माना लगा भी दिया जाता है तो वह महज दिखावा ही होता है। खनिज विभाग के अधिकरियों के साथ इतनी ज़बरदस्त सांठगांठ कि जुर्माने की रकम आज तक जमा नहीं होती है। यानी जिस रेत खनन माफिया से राजस्व भरा जाना चाहिए उसका हर्जाना आम जनता और मध्यमवर्गी को टैक्स व बाज़ारों से मंहगाई बढ़ा कर वसूल किया जाएगा और आने वाले समय में सुकमा को आंध्र प्रदेश व ओड़िसा की तरह दूसरे राज्य व ज़िले पर निर्भर होना पड़ेगा और बाहरी क्षेत्रों से महंगी दर पर रेत खरीदना पड़ेगा।
छत्तीसगढ़ में अबैध रेत खनन का खेल
रेत के अवैध उत्खनन की समस्या मात्र सुकमा ज़िले की नहीं है, सरकारी आंकड़े ही बताते हैं कि इसके अलावा छत्तीसगढ़ के 9 अन्य ज़िलों में भी यही समस्या है परंतु सुकमा में अति हो चुकी है। हम अपने सुधी पाठकों को याद दिलाना चाहेंगे कि हमने अवैध खदानों के विषय पर एक समय-समय पर लेख प्रकाशित किया हैं जिसमें हमने आशंका प्रकट की थी कि यह समस्या राष्ट्रीय होती जा रही है और यही हाल रहा तो शीघ्र ही अंतर्राष्ट्रीय हो जाएगी।हामारी आशंका को सही सिद्ध करते हुए नवीनतम समाचार है कि सिंगापुर जैसे छोटे से देश में चारों और समुद्र किनारा होने के बावजूद औद्योगिक रेत का अभाव हो चुका है और उसे अपनी निर्माण ज़रूरतों को पूरा करने के लिए अफ्रीका के सोमालिया देश के रेगिस्तान की बालू मनमानी क़ीमत पर खरीदनी पड़ रही है और विशाल जलयानों से हज़ारों किलोमीटर दूर तक लानी पड़ रही है। एक उदाहरण से ही समझ लीजिए कि अवैध रेत उत्खनन नहीं रुका तो छत्तीसगढ़ में भविष्य में क्या-कुछ स्थिति होने वाली है और फिर यहां तो रेत के भंडार के रूप में कोई समुद्री किनारा या रेगिस्तान भी नहीं है। राज्य तथा केंद्र सरकार के विद्वान मंत्रियों तथा उनके डेढ़ होशियार अफ़सरों ने क्या इस आने वाली मुसीबत के बारे में कभी कुछ सोचा है ?