मैनपुरी।एसडीएम करहल के निर्देशन में तहसीलदार घिरोर ने थाना क्षेत्र के गांव स्थित विद्यालय में बड़े भाई के स्थान पर छोटे भाई को परीक्षा देते हुए पकड़ा है। जिसे पकड़ने के बाद थाना पुलिस अपने साथ ले गई। जिसके बाद केन्द्र व्यवस्थापक की तहरीर पर पुलिस ने मुकदमा पंजीकृत कर आगे की कार्रवाई शुरू कर दी है।क्षेत्र के गांव नगला भमी स्थित सिलेटी सिंह किसान इंटर कॉलेज में हाईस्कूल के विषय सामाजिक विज्ञान की परीक्षा चल रही थी। एसडीएम करहल आरएन वर्मा के निर्देशन में तहसीलदार घिरोर अरुण कुमार द्वारा परीक्षा केन्द्र पर निरीक्षण किया गया। जहां पर निरीक्षण के दौरान गोलू उर्फ अरुणेन्द्र सिंह पुत्र रामेन्द्र प्रताप सिंह निवासी गांव मिढ़ावली खुर्द थाना कुरावली के स्थान पर उसका ही छोटा भाई शनी उर्फ करुणेन्द्र सिंह पुत्र रामेन्द्र प्रताप सिंह निवासी गांव मिढ़ावलीखुर्द थाना कुरावली जिला मैनपुरी परीक्षा दे रहा था। जिसे निरीक्षण के दौरान तहसीलदार के द्वारा पकड़ लिया गया।जब उससे पूंछतांछ की गई तो सारा मामला खुलकर सामने आ गया। जिसके बाद तहसीलदार की सूचना पर पुलिस ने हिरासत में ले लिया। पुलिस पकड़े गए मुन्नाभाई शनी को थाने ले गई। इधर केन्द्र व्यवस्थापक सुभाष चन्द्र ने थाने पहुंचकर पकड़े गए मुन्नाभाई के खिलाफ तहरीर दी। जिसपर पुलिस ने मुकदमा पंजीकृत कर लिया है। पुलिस द्वारा मामले में आगे की कार्रवाई की जा रही थी। बड़े भाई को पास कराने के लिए दे रहा था परीक्षा वहीं जानकारों की मानें तो गोलू दुबारा से हाईस्कूल की पढ़ाई कर रहा है। जिसे पास कराने के लिए शनी उसकी परीक्षा दे रहा था। पकड़ा गया शनी, गोलू के स्थान पर परीक्षा के प्रथम पेपर से ही परीक्षा दे रहा था। परीक्षा पूर्ण होने में केवल एक और प्रश्न पत्र रह गया था। उससे पहले ही पूरे मामले पर पानी फिर गया। तहसीलदार घिरोर ने गोलू और शनी के अरमानो पर पानी फेर दिया।
आखिर क्या रही वजह जो थाना प्रभारी ने नहीं की 120बी और 420 की कार्यवाही अपने बड़े भाई की जगह परीक्षा दे रहे मुन्ना भाई पर मुकदमा तो दर्ज किया गया। लेकिन मुकदमा दर्ज करने में भी थाना प्रभारी के द्वारा छोटी सी धाराओं का इस्तेमाल कर आरोपी को थाने से ही जमानत दे दी। क्या वजह रही जो थाना प्रभारी अजीत सिंह के द्वारा षड्यंत्र के तहत जालसाजी कर दूसरे की जगह परीक्षा दे रहे मुन्नाभाई पर धारा 120बी और 420 की कार्यवाही नहीं की गई। जानकारों की माने तो ऐसे मामलों यदि कोई भी व्यक्ति दूसरे के स्थान पर हस्ताक्षर करता है तो उस मामले में धारा 467 भी बनती हैं। लेकिन थाना प्रभारी के द्वारा ऐसा नहीं किया गया। जब थाना प्रभारी से बात की गई तो उनके द्वारा बताया गया कि धाराएं तहरीर के आधार पर बनाई गई हैं। जो धाराएं लगी हैं उसमें थाने से जमानत दे दी जाती है। लेकिन जब प्रभारी निरीक्षक से सवाल किया गया कि ग्रामीणों के द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार मुन्नाभाई पहले ही पेपर से अपने भाई के स्थान पर परीक्षा दे रहा है। क्या उसने उपस्थिति पंजिका में अपने भाई के फर्जी हस्ताक्षर नहीं बनाए होंगे। ऐसे मामले में धारा 467 का प्रयोग किया जाता है। लेकिन प्रभारी निरीक्षक सिर्फ यही बोलकर अपना पलड़ा झाड़ते रहे कि तहरीर के आधार पर ही हमने धाराएं लगाई हैं।