*वीर रस*
कन्या बैठी खेत में , वस्त्र पहन कर लाल ।
लेपटोप है हाथ में ,पकड़ ज्ञान की ढाल ।।
जीवन में हारी नहीं ,पति से करती बात ।
युद्ध करो तलवार से ,कर्म करो दिन रात ।।
लेपटोप में लिख रही , करती सुता प्रयास ।
घायल की सेवा करूँ ,मिले नौकरी पास ।।
रसः *वीर रस*
स्थाई भावः *उत्साह जोश*
संचारी भावः *पियु मिलन की कामना ,प्रीतम को उत्साह देना,पति को प्रेरणा देना*
आलंबन,(१)आश्रयः *सुता*
(२)विषयः *प्रीतम,*
उद्दीपनः *नौकरी ढूँढना , घायल की सेवा करने की चाह ,प्रीतम के पास रहना है*
अनुभावः *लॅपटोप पर संदेशा भेजना,*
*पद्माक्षि शुक्ल*