दोहा

चित्र आधारित सृजन: 17/05/22
रस: वीर
स्थाई भाव: उत्साह
आलंबन
विषय: कारगिल युद्ध का वर्णन।
आश्रय: मैं(रचनाकार)
संचारी भाव: धृति, आवेग, गर्व,
उद्दीपन विभाव: शत्रु पर जीत कर अपने देश की उस चोटी को बचाना।
अनुभाव: बंदूक चलाना, जान देना, तिरंगे को नमन करना, खुशी मिलना आदि।

युद्ध कारगिल में हुआ, चली तोप-बंदूक।
वीरों ने फिर शत्रु को, वहीं दिया था फूक।।1

जीत गए थे युद्ध में, खुशियॉं मिलीं अपार।
किया तिरंगे को नमन, वीरों ने हर बार।।2

तनी हुई थी तोप जब, बरसे गोले खूब।
कॉंप उठी धरती वहीं, शत्रु गया था डूब।।3

युद्ध क्षेत्र लड़ते हुए, दे दी अपनी जान।
लिपट तिरंगे आ गया, सैनिक वीर महान।।4

चोटी पर उस युद्ध में, जीते वीर जवान।
पाने को सम्मान तब, दौड़े सीना तान।।5

मनीषा अग्रवाल
इंदौर मध्यप्रदेश

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