चित्र आधारित सृजन

दोहा

तीन रङ्ग को देख के, लेता खून उछाल।
भरे तिरंगा जोश से, गर्वीली है चाल।।

नील गगन सीमांत सा, है उमंग अतिरेक।
सैनिक है उत्साह में, ठाने लक्ष्य अनेक।।

अगम कठिन पर्वत चढ़े ,उतरे सीधी ढाल ।
भारत की जयकार से, थर्राए दिग्पाल।।

भारत माँ के लाडले, लड़ते वीर जवान।
देशप्रेम की राह में, देते हैं बलिदान।।

यूपी एमपी गोरखा, असमी तेलगु वीर।

महाराष्ट्र पंजाब के, देते अरि को चीर।।

राजश्री शर्मा
बाबू उस समय परेशान कर रही थी ठीक से ध्यान नहीं गया

रस – वीर रस
स्थाई भाव – उत्साह
संचारी भाव – सीमा पर तैनात सैनिक के मनोभाव
आलंबन विषय – सैनिक
आलंबन आश्रय – देशप्रेम
अनुभाव – जोश, देश के लिए जान देने को तत्पर
उद्दीपन – देश भक्ति

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