मनोज सिंह/ जिला ब्यूरो
प्रशिक्षण पर लाखों रुपए खर्च कर नए सिरे से नियुक्ति की तैयारी
कागजों में ही दम तोड़ने लगी है मिशनअंकुर योजना
टीकमगढ़।शिक्षा की दुर्दशा और सरकारी धन के दुरूपयोग होने से प्रदेश की युवा तरूणाई का भविष्य जहां गर्त में जा रहा है , वहीं शिक्षा विभाग और राजीव शिक्षा मिशन के संचालन पर ही सवाल उठाये जाने लगे हैं । यहां तक की प्रदेश में बैठे अधिकारियों की बुद्धिमता और सूझबूझ में नजर आई खामियों के कारण समूचे प्रदेश सरकार को ही हाशिये पर ला दिया है । प्रशिक्षण पर लाखों रूपये खर्च करने के बाद अब नये सिरे से नियुक्ति किये जाने को लेकर आदेश जारी किये जाने लगे हैं । समग्र शिक्षा के अंतर्गत चलाये जा रहे कार्यक्रमों के दौरान जारी किये जाने वाले तुगलकी फरमान ने समूचे शिक्षा जगत में अटकलों को जन्म दिया है । कहा जा रहा है कि जब नये फरमान जारी करना थे , तो प्रशिक्षण के नाम पर लाखों रूपये बर्बाद क्यों किया गया । बताया गया है कि मिशन अंकुर योजना कागजों में सिमट कर रह गई है । राज्य शिक्षा केन्द्र द्वारा जहां तुगलकी आये दिन जारी किये जाने लगे हैं , वहीं शासन के करोड़ों रुपये की बरबादी की जा रही है । सरकारी धन का बिना सोचे समझे।
वालों के खिलाफ किसी प्रकार की कार्रवाई न होने उनकी मनमानी बदस्तुर जारी है । राज्य शिक्षा केन्द्र भोपाल की तानाशाही और तुगलकी फरमान से मिशन अंकुर के तहत पूरे मध्य प्रदेश के 52 जिला के एपीसी व बीआरसी को जून 2022 में 5 दिन का प्रशिक्षण दिया गया और लाखो रुपये खर्च किये गए । भारत सरकार द्वारा पूरे भारत में निपुण भारत के शिक्षकों को एवं अतिथि शिक्षकों को 5 दिन की नाम सेफ सा 1 व 2
अध्यापन कराने वाले समस्त ट्रेनिंग प्रारम्भ की गई , जिसके तहत मध्यप्रदेश में एक मिशन अंकुर के नाम से प्रोजेक्ट शुरू किया गया । बताया गया है कि जिसमें मध्य प्रदेश के 52 जिलों के एपीसी को भोपाल बुलाकर 8 दिवसीय आवासीय ट्रेनिंग प्रदान की गई और लाखों रुपये खर्च किये गए । यह प्रशिक्षण 19 मई से 21 जून 2022 तक चला । उसके उपरांत जिले के समस्त बसा 1 व 2 में अध्यापन कराने वाले समस्त
शिक्षकों को एवं अतिथि शिक्षकों को 5 दिन की ट्रेनिंग दी गई व मिशन अंकुर के लिये अलग से किताबें मुद्रित कराई गई और करोड़ो रूपये खर्च हुये । राज्य शिक्षा केन्द्र भोपाल के आदेश क्रमांक 4653 दिनांक 05 अगस्त 2022 द्वारा मध्य प्रदेश के सभी एपीसी एवं बीआरसी को हटाकर नये एपीसी एवं बीआरसी की भर्ती की जा रही है , जबकि मिशन अंकुर की करोड़ो रूपये के प्रशिक्षण एवं किताबें माह जुलाई पर कार्यवाही व शिक्षण कार्य प्रारम्भ हो चुका है । ध्यान देने योग्य बात यह है कि मिशन अंकुर 2022 से 2027 तक एक समय सीमा का कार्यक्रम है , जो कि मध्य प्रदेश में प्रारम्भ हो चुका है । यदि एपीसी एवं बीआर सी बदलने ही थे तो जून माह तक प्रशिक्षण क्यों करवाया गया और लाखों रूपये बर्बाद किये गए । कहा जा रहा है कि अब नये एपीसी और बीओसी नियुक्त कर फिर से इन्हें भोपाल बुलाकर प्रशिक्षण दिया जायेगा और लाखों रूपये की चपत मध्यप्रदेश सरकार और केन्द्र स कार को लगेगी ।
*पुस्तक वितरण में बरती जा रही ढील*
शासन द्वारा भेजी जाने वाली पुस्तकों के वितरण में ढील दिये जाने से शिक्षा सत्र समय पर इस बार शुरू भी नहीं हो सका है । जिला मुख्यालय पर ही पुस्तकें इस बार देर से उपलब्ध कराई गई हैं । पद और नाम बदलने और पुन – प्रशिक्षण शुरू कराये जाने से शिक्षा सत्र मजाक बन कर रह जाएगा । कहा जा रहा है कि यदि पुस्तकों में भी तब्दीली की जाती है , तो पुरानी पुस्तकों को भी कबाड़ में फेंका जा सकता है । इस संबन्ध में सरकार को चाहिये कि उचित कदम उठायें और शिक्षा सत्र के दौरान किसी प्रकार की तब्दीली न करें । बच्चों को पुस्तकों का वितरण करने और सत्र को विधिवत चलाये जाने की दिशा में कदम उठाये जाने की जरूरत महशूस की जाने लगी है।