रतनपुर में भैरव जन्माष्टमी महोत्सव की मची धूम…

भैरव जन्मोत्सव में नौ दिन तक होगी विविध धार्मिक अनुष्ठान…

भैरव जन्माष्टमी पर भैरव नाथ की दिव्य स्वरूप के होंगे दर्शन…

अमर स्तंभ प्रकाशित कर रहा है भैरव मंदिर सन 1944 का एक दुर्लभ छाया चित्र…

गुरुदेव सोनी
रतनपुर (अमर स्तम्भ )

मंदिरों की नगरी के नाम से ख्याति प्राप्त रतनपुर में प्राचीन मंदिरों की पूरी श्रृंखला विद्यमान है इन्हीं सैकड़ों मंदिरों के बीच में नगर में जैसे ही प्रवेश करते हैं प्रवेश द्वार पर स्थित काल भैरव नाथ जी का अति प्राचीन मंदिर सिद्ध तंत्र पीठ के रूप में विख्यात है सिद्ध तंत्र पीठ भैरव नाथ जी का मंदिर बिलासपुर रतनपुर मुख्य मार्ग पर नगर के दाहिने ओर स्थित है, जहां भगवान श्री काल भैरव की लगभग बारह फीट ऊंची विशाल प्रतिमा रौद्रभाव से परिपूर्ण है जिनकी बीस भुजाओं में विभिन्न आयुध है, ऐसा माना जाता है कि विश्व में इतनी अधिक ऊंची प्रतिमा और कहीं नहीं है तथा यह प्रतिमा बहुविध अलंकरणों से सुसज्जित है, भैरव बाबा को रतनपुर का रक्षक अर्थात कोतवाल भी कहा जाता है जो रक्षा कवच के रूप में रतनपुर के प्रवेश द्वार पर स्थित है जिससे इस चतुर्युगी नगरी में कहीं कोई अनिष्ट या प्रतिकूलता आने की आशंका नही रहती।
16 नवम्बर मार्गशीर्ष कृष्ण अष्टमी तिथि को श्री काल भैरव जन्माष्टमी महोत्सव इस तंत्र पीठ मंदिर में पूरी भव्यता के साथ पूजा अनुष्ठान हवन के साथ आरंभ हुआ जिसमें नौ दिनों तक चलने वाले इस धार्मिक अनुष्ठान में विभिन्न धार्मिक कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे और इस भैरव जन्माष्टमी महोत्सव में हजारों भक्तगण शामिल होकर अपने अभीष्ट की कामना करेंगे, इस अवसर पर मंदिर परिसर को फूलों की झालरों व वंदनवारों से बड़े ही आकर्षक ढंग से सजाया गया है, इस दौरान आज धार्मिक अनुष्ठान के प्रथम दिवस में भगवान भैरवनाथ का पूजन हवन से आरंभ हुआ जिसमे सामूहिक पुष्पांजलि अर्पित करते हुए विश्व कल्याण की कामना की गई , भैरव नाथ जी का यह दिव्य स्वरूप वर्ष में सिर्फ एक बार जन्माष्टमी के अवसर पर ही देखने को मिलता है इसलिए इस दिव्य स्वरूप को निहारने के लिए बड़ी दूर-दूर से श्रद्धालु यहां पहुंचते हैं। जिसमें भक्तों की ऐसी मान्यता है कि काल भैरव के दर्शन पूजन से हर प्रकार का भय संताप शारीरिक व मानसिक पीड़ा दुख दूर होते हैं तथा मन को असीम शांति मिलती है और सारे संताप मिट जाते हैं साथ ही जागृत तंत्र पीठ होने से भक्तों को एक नए जीवनी शक्ति प्राप्त होती है तथा व्यवसाय उद्योग धंधे व जीविका के साधन में हर प्रकार से उत्तरोत्तर वृद्धि व प्रगति होती है। तथा उनकी कृपा से जादू टोना, तंत्र मंत्र, भूत प्रेत बाधा आदि का भी निवारण होता है।

भैरव की उत्पत्ति – भारत में लगभग सभी क्षेत्रों में भैरव नाथ की मान्यता रही है शिव पुराण और रुद्र संहिता के अनुसार कृष्ण पक्ष की अष्टमी को मध्यान्ह में भगवान शिव ने भैरव के रूप में अवतार लिया था भगवान शिव के ग्यारह अवतारों में भैरव को आठवें
अवतार माना जाता है, इसलिए इस अष्टमी तिथि को कालाष्टमी या भैरव जयंती के रूप में जाना जाता है इस दिन व्रत रखकर भैरव नाथ जी को जल अर्पित करने व व्रत उपवास करने मात्र से ही अति प्रसन्न रहते हैं इनकी उपासना भक्तों की समस्त मनोकामना को पूर्ण करने वाली होती है कुल भैरव के संबंध में मान्यता है कि इनकी उपासना से परिवार में सुख समृद्धि स्वास्थ्य और खुशहाली बना रहता है तथा वंश की वृद्धि होती है परिवार में होने वाले समस्त मांगलिक कार्यों में इन्हें अवश्य याद किया जाता है तथा इनके निमित्त धूप ध्यान एवं रात्रि जागरण भी किया जाता है लोक मान्यताओं में परिवार की उन्नति में भैरव को प्रथम देव माना गया है स्कंद पुराण के काशी खंड में भैरव नाथ का
उल्लेख आया है जिसमें उन्हें ब्रह्माजी द्वारा वरदान दिया गया है कि वह समस्त जगत का भला करने का सामर्थ रखते हैं अतः उनका नाम स्मरण करने मात्र से ही भक्त को काल देख भी नही पायेगा अतः काल भैरव के नाम से विख्यात होंगे ।

श्री भैरव नाथ जी का स्वरूप – भैरव बाबा के स्वरूप के संबंध में ऐसा माना जाता है कि वह श्याम वर्ण लिए हुए चार भुजाओं से सुशोभित है और गले में नरमुंड की माला पहने हुए हैं तथा हाथों में खप्पर खड़क और त्रिशूल धारण किए हुए अत्यंत ही रौद्र रूप दिखाई पड़ते हैं यद्यपि भैरव नाथ जी के विभिन्न रूप हैं तथा उन्हें अनेक नामों से जाना जाता है जैसे संहार भैरव, अतिसंग भैरव, क्रोधोन्मत भैरव, भयंकर भैरव,चण्ड भैरव कपाली भैरव आदि इनमें से प्रमुख है।

कलयुग का आश्चर्य – चूंकि यह नगर के प्रवेश द्वार का प्रथम मंदिर है, और ऐसी मान्यता चली आ रही है कि जो भी किसान साथ सब्जी लेकर मंदिर से गुजर कर रतनपुर लाते हैं उसका पहला फल भैरव बाबा मंदिर में जरूर अर्पित करते हैं वरना ऐसा विश्वास है कि उनकी सब्जी पीली पड़ जाती है जो कि कलयुग का एक आश्चर्य कहा जाता है शायद तुलसीदास ने सच ही कहा है भय बिनु प्रीत न होई गुसाईं ।

भैरव मंदिर परिक्षेत्र का सुंदर दृश्य – पर्वत मालाओं की सर्पाकार नागरेखाओं से घिरा हुआ रतनपुर जहां स्थित भैरव बाबा का मंदिर अत्यंत ही खूबसूरत है, और इस मंदिर से लगा हुआ है एक खूबसूरत कुंड भी है, यदि किवदंती पर गौर किया जाए तो इस कुंड को बाबा ज्ञानगिरी के द्वारा बनवाया गया था ऐसा माना जाता है और उस कुंड से लगा हुआ एक बहुत पुराना विशाल वटवृक्ष भी है इसके अलावा इस मंदिर के दाहिनी ओर एक सुंदर वाटिका का निर्माण भी करवाया गया है जो यहां के खूबसूरती में चार चांद लगा देती है जो यहां आने वाले पर्यटकों व भक्तों को अत्यंत ही सुकून देती है।

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