पौराणिक शहर में आधुनिक इंफ्रास्ट्रक्चर

विजय प्रताप शर्मा (ब्यूरो चीफ वाराणसी)

दैनिक अमर स्तंभ

वाराणसी हजारों साल से ज्ञान की पीठ रही है। गंगा के किनाने बसा यह पवि़त्रतम शहर देश के हर कोने से हर साल लाखों लोगों को आने के लिए आकर्षित करता रहा है। विदेश से जो भी भारत भ्रमण पर आता है उसकी सूची में वाराणसी जरूर होती है। वे यहां जीवन का असली सार जानने आते हैं? पुराने अभिलेखों और रहस्यों को जानने के लिए आते हैं। यह शहर धीरे धीरे पूर्वांचल का बिजनेस हब भी बनता जा रहा है। जाहिर है इस तेजी से बढ़ते शहर की जरूरत एक बड़े व आधुनिक इंफ्रास्ट्रक्चर की है।

रोड से लेकर ट्रीटमेंट प्लांट, नेक्स्ट जेनरेशन इंफ्रास्ट्रक्चर से लेकर ट्रांसपोर्ट फैसिलीटीज तक जापान के सहयोग से बन रहे कनवेंशन सेंटर से लेकर सिटी कमांड के जरिए ट्रैफिक मैनेजमेंट तक, अंडरग्राउंड केबलिंग से लेकर कार्गो सेंटर तक, किसी मेगा सिटी का कनसेप्ट देता है तो वहीं साफ सुथरे बनारस के चकाचक घाट, उन पर लगे हेरिटेज लाइट, गलियों और चैड़ाहों की साफ सफाई, दीवारों की पेंटिंग और काशी के स्वामी बाबा विश्वनाथ मंदिर के आस-पास गलियारे का निर्माण और सांस्कृतिक आयोजनों के लिए भवनों का कायाकल्प बनारस की जरूरत और शोहरत दोनों को पूरा करता है।

बाबतपुर- वाराणसी हाईवे

17.6 किलोमीटर लंबे इस हाइवे को आज गेटवे ऑफ़ बनारस कहा जा रहा है। बनारस के किसी भी क्षेत्र से बाबतपुर हवाई अड्डे तक पहुंचने का यह मार्ग ब्रांड बनारस की पहचान बन गया है। इस हाईवे के बनने से विदेशी मेहमानों की आवक पहले से काफी बढ़ गई है।

मल्टी मोडल टर्मिनल

गंगा में जल परिवहन के जरिये बनारस से हल्दिया तक माहवाहक जहाज भेजने के लिए रामनगर में बने मल्टी मोडल टर्मिनल का शुरू होना किसी सपने केे सच होने जैसा लगता है। स्वतंत्र भारत में यह इनलैंड वाटर परिवहन का पहला प्रोजेक्ट है। और इसका गौरव वाराणसी को मिला है। प्रधानमंत्री ने नवंबर 2018 में जब इसका उद्घाटन किया तो उन्होंने कहा – काशी नेचर, कल्चर और एडवेंचर का संगम बनने जा रही है।

काशी विश्वनाथ कोरिडोर-भारतीय अध्यात्म-संस्कृति से देश-दुनिया को भलिमांति परिचित कराने के लिए काशी विश्वनाथ कॉरिडोर तैयार किया जा रहा है। इसकी नींव प्रधानमंत्री ने रख दी है और इसपर तेजी से काम हो रहा है। कोरिडोर तैयार होने के बाद बाबा विश्वनाथ के दर्शन के लिए लंबी कतारें नहीं लगेगी। इस कॉरिडोर में चारों वेद, 18 पुराण, उपनिषद और वेदांग, वेदांत की झलक मिलेगी।

महापुरुषों की जीवन कथा भित्ति चित्रों द्वारा

काशी की दीवारें संस्कृति और धरोहर से पर्यटकों को रूबरू करा रही हैं। भारत रत्न से लेकर काशी के कलाकार और महापुरुषों के चित्र दीवारों पर जीवंत से दिखते हैं। मोदी जी ने इसका नाम हªदय दिया है। अस्सी घाट, दुर्गाकुंड, कबीरचैरा, लहुराबीर, डीरेका, नरिया आदि जगहों बनी कलाकृतियों में कहीं गंगा घाट, विश्वनाथ मंदिर तो लहुराबीर में क्वींस कॉलेज की दीवारों पर चरखा चलाते बापू, शहनाई बजाते भारत रत्न उस्ताद बिस्मिल्लाह खां दिख रहे हैं।

मैदागिन स्थित टाउन हाल न सिर्फ अपने पुराने स्वरूप में लौट आया है। बल्कि वहां अब कई तरह की सांस्कृतिक आयोजन भी किया जा रहा है। हाल ही में मोदी फेस्ट आयोजित किया गया था। जिसके जरिये वाराणसी के लोग अपने सांसद और देश के प्रधानमंत्री से सीधे जुड़े।

अमृत के तहत शहर में करोड़ों रुपये से जहां पेयजल-सीवर का काम कराया जा रहा है। वहीं नगर निगम सात पार्कों का सुंदरीकरण भी कर रहा है।मोदी जी ने इसका शिलान्यास कर दिया है। नगर निगम वीडीए पार्कों का भी सुंदरीकरण करेगा।

स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के तहत पांच पार्कों को थीम के आधार पर विकसित किया जा रहा है। सेल्फी थीम पर शास्त्री नगर पार्क, गुलाबबाड़ी की तर्ज पर गुलाब बाग पार्क, सौर ऊर्जा पर आधारित मच्छोदरी पार्क और शेड एंड लाइट शो की थीम पर रवींद्रपुरी पार्क का विकास कराया जाएगा।

वाराणसी में और जो परियोजनाएं चल रही हैं

उनमें प्रमुख हैं- 362 करोड़ की लागत से बिजली के तारों को अंडरग्राउंड करना।

253 करोड़ रुपये की लागत से बारिश के निकासी के लिए नाले का निर्माण

158 करोड़ की लागत से वाराणसी के लिए गैस पाइप लाइन

134 करोड़ रुपये की लागत से पीने के पानी की पाइप लाइन

बनारस पहले से ही दुनियाा के नक्शे पर एक पौराणिक व अघ्यात्मिक शहर के रूप में विख्यात है। मोदी जी के यहां से एमपी और देश के पीएम बनने के बाद 5 साल में वाराणसी और भी दर्शनीय हो गया। बनारस की बोली में कहे तो ददा व्यवस्था बड़ी चौचक हो गई है।

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