दैनिक अमर स्तंभ वाराणसी। भेलूपुर थाना क्षेत्र के बैजनत्था स्थित आदि शंकराचार्य कालोनी में गुजरात की फर्म के कार्यालय में सनसनीखेज डकैती कांड में नये-नये मोड़ आते जा रहे हैं। अब इस घटना के कथित मुख्य आरोपित व सारनाथ निवासी अजीत मिश्रा उर्फ गुरूजी के पिता ने पुलिस कमिश्नर से पूरे मामले की एसआईटी या सीबीसीआईडी जांच कराने की मांग की है। नये खुलासे में डकैती की रकम पहले एक करोड़ 40 लाख रूपये बताए गए थे। लेकिन अब यह रकम दो करोड़ रूपये बताई जा रही है। चर्चा है कि डकैती की रकम इससे भी कहीं अधिक है।
गौरतलब है कि इस मामले में भेलूपुर पुलिस ने डकैती कांड के आरोपित प्रदीप पांडेय, घनश्याम मिश्रा और वसीम को दिल्ली के कनाटप्लेस क्षेत्र से पिछले दिनों गिरफ्तार किया था। इससे पहले घटना में प्रयुक्त कार के मालिक व शिवपुर थाना क्षेत्र के निवासी सच्चिदानंद राय उर्फ मंटू राय को पुलिस ने गिरफ्तार किया था। मुख्य आरोपित सारनाथ क्षेत्र का निवासी अजीत मिश्रा उर्फ गुरूजी अभी फरार है। पुलिस अब अजीत मिश्रा के खिलाफ गैर जमानती वारंट जारी कराने व कुर्की की कार्रवाई की तैयारी कर रही थी। इसी दौरान अजीत मिश्रा के पिता ने नया खुलासा करते हुए पुलिस कमिश्नर मुथा अशोक जैन को प्रार्थना पत्र सौंपा है। पुलिस कमिश्नर ने उचित कार्रवाई का आश्वासन दिया है। अजीत मिश्रा के पिता विमलेश मिश्रा ने बताया कि इस मामले में गिरफ्तार घनश्याम मिश्रा ने उनके बेटे को फोन किया और अजीत मिश्रा से मदद मांगी थी। मदद के बदले कमीशन देने का वादा किया था। प्लान के मुताबिक 29 मई की रात तत्कालीन थाना प्रभारी सदल बल के साथ बैजनत्था स्थित व्यापारी के कार्यालय पहुंचे। वहां उन्हें दो करोड़ रूपये मिले थे।
इस रकम में से एक करोड़ रूपये घनश्याम ने अपना बताया और लेकर निकल लिया। बचे रूपये लेकर थाना प्रभारी व उनकी टीम थाने आई। इसके बाद रवींद्रपुरी कालोनी स्थित एक होटल में रूपयों का मिलान और हिस्से का बंटवारा हो रहा था। एक दरोगा को हिस्से में सिर्फ पांच लाख रूपये मिले। इतनी बड़ी रकम में सिर्फ पांच लाख पर दरोगा बिगड़ गया। लेकिन उसे और रूपये नही मिले। इससे नाराज वह दरोगा जाकर आला अधिकारी को सारी बात बता दिया। अब मामला बिगड़ते देख थाना प्रभारी ने अजीत, घनश्याम और अन्य को बुलाया। उनसे 60 लाख रूपये लिए और फिर अपने हिस्से के नोटों में से कछ मिलाकर 31 मई को शंकुलधारा पोखरे के पास लावारिस कार से 92 लाख 94 हजार की बरामदगी दिखा दी गई। डकैती कांड की अबतक की जानकारी के मुताबिक एक करोड़ 40 लाख की डकैती की बात सामने आई थी। अब तो यह मामला दो करोड़ तक पहुंच गया। एक करोड़ 40 लाख में से करीब 57 लाख की बरामदगी होनी बाकी है। तबतक नया खुलासा हुआ कि 60 लाख एक अफसर अपने पास दबाकर बैठा है और ईमानदारी का ढिंढोरा पीट रहा है। आपको यह भी बता दें कि इस डकैती में संलिप्तता उजागर होने पर भेलूपुर के तत्कालीन थाना प्रभारी रमाकांत दुबे, दरोगा सुशील कुमार, महेश कुमार व उत्कर्ष चतुर्वेदी, कांस्टेबल महेंद्र कुमार पटेल, कपिल देव पांडेय व शिवचंद्र को बर्खास्त कर दिया गया है। इतनी गंभीर घटना और गंभीर धारा के इन आरोपितों की गिरफ्तारी के प्रयास की अबतक कोई सूचना नही है। जांच के नाम पर बिना वर्दीवालों की गिरफ्तारियां और तलाश हो रही है।
यही वजह है कि एक आरोपित अजीत मिश्रा के पिता को पुलिस की जांच पर भरोसा नही है और वह एसआईटी या सीबीसीआईडी जांच की मांग कर रहे है। इस घटना का दूसरा पहलू यह है कि अधिकतर आरोपित (पुलिसकर्मियों को छोड़कर) सत्ताधारी दल और शासन में मजबूत पकड़ का दावा करनेवाले हैं। बनारस में खाकी की मिलीभगत से डकैती की यह घटना शासन के जीरो टालरेंस के दावे को तार-तार करती दिख रही है। इसके अलावा भी वर्दी पर दाग की इसी शहर में कई घटनाएं हो चुकी हैं।