विजय प्रताप शर्मा ब्यूरो चीफ दैनिक अमर स्तंभ 👇
वाराणसी। भक्तों के प्रेम में सहस्त्रधारा स्नान के बाद बीमार पड़े भगवान जगन्नाथ ने पखवाड़े भर बाद सोमवार को अस्सी स्थित जगन्नाथ मंदिर में भक्तों को दर्शन दिया। 15 दिनों के अंतराल के बाद भक्त और भगवान की दूरी खत्म हुई। सुबह से ही भाई बलभद्र, बहन सुभद्रा के साथ भगवान के दर्शन-पूजन का सिलसिला जारी रहा। अब शाम को मनफेर के लिए भगवान जगन्नाथ भाई और बहन के साथ डोली पर सवार होकर काशी की गलियों में भ्रमण करते हुए रथयात्रा पहुंचेंगे। इसके बाद मंगलवार को रथयात्रा-महमूरगंज मार्ग पर सजधज कर तैयार रथ पर सवार होकर भक्तों को दर्शन देंगे। इधर, शाम को अस्सी स्थित जगन्नाथ मंदिर में गाजे-बाजे के साथ भक्त भगवान जगन्नाथ की पालकी यात्रा रथयात्रा यानी भगवान के ससुराल निकल चुकी है। मंगलवार से रथ पर सवार भगवान जगन्नाथ काशीवासियों को दिव्य दर्शन देंगे।
भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और बहन सुभद्रा के स्वस्थ होने पर सोमवार की सुबह मंदिर का कपाट खोल दिया गया। सुबह छह बजे पुजारी ने भगवान की मंगला आरती उतारी। आठ बजे परवल के जूस का भोग लगाया गया। इसके बाद भगवान को अर्पित जूस प्रसाद स्वरूप भक्तों में वितरित किया गया। साढ़े दस बजे भगवान को पंचभोग अर्पित किया गया और दोपहर 12 बजे मंदिर के कपाट बंद कर दिए गये। तीन बजे दोबारा मंदिर का कपाट खुला तो दर्शन का सिलसिला शुरू हो गया।
उधर, काशी की प्रसिद्ध रथयात्रा मेला की व्यवस्था के लिए पुलिस व जिला प्रशासन ने सभी तैयारियां कर ली हैं। उधर, बिजली विभाग के मुख्य अभियंता अनूप कुमार वर्मा ने मेले के दौरान निर्बाध विद्युत आपूर्ति के निर्देश दिये हैं। रथयात्रा मेला काशी के पुरातन व पारम्परिक मेलों में से एक है। इस मेले में दूर-दराज से श्रद्धालु भाई व बहन के साथ भगवान जगन्नाथ के दर्शन करने आते हैं। मेले की तैयारी के क्रम में सोमवार को ही रथयात्रा-महमूरगंज मार्ग पर भगवान का रथ सजधज कर तैयार हो गया है।