पाञ्चरात्रागम, दर्शन और ऐतिह्य में सामञ्जस्य साधना है अपेक्षित – पुरी शंकराचार्य

अरविन्द तिवारी की रिपोर्ट

जगन्नाथपुरी (अमर स्तम्भ) / हिन्दुओं के सार्वभौम धर्मगुरु एवं हिन्दू राष्ट्र प्रणेता पूज्यपाद पुरी शंकराचार्य स्वामी श्रीनिश्चलानंद सरस्वतीजी महाराज शेष एवं शेषी की व्याख्या करते हुये संकेत करते हैं कि अवतार दशा में संकर्षण संज्ञक बलराम भगवान वासुदेव के भी अग्रज सिद्ध हैं। दार्शनिक धरातल पर अहम् का कार्य मन है। ऐतिह्य राज्य में प्रद्युम्न के पुत्र अनिरुद्ध हैं। ऐसी स्थिति में पाञ्चरात्रागम, दर्शन और ऐतिह्य में सामञ्जस्य साधना अपेक्षित है। संकर्षण शेषरूप धामतत्त्व हैं। अतएव शेषी भगवान् के अभिव्यञ्जक हैं। अभिव्यंग्य की अभिव्यक्ति अभिव्यञ्जक के अधीन होती है और अभिव्यञ्जक के तारतम्य से अभिव्यंग्य की अभिव्यक्ति में तारतम्य होता है ; अतः संकर्षण (बलराम) को अग्रज रूप से इतिहास में स्थान प्राप्त है। दार्शनिक जगत् में अहम् मन का जहाँ उपादान है ; वहाँ मन अहम् का अभिव्यञ्जक संस्थान होने से निमित्त है। यही कारण है कि ऐतिह्य रूप व्यावहारिक जगत् में मनोरूप प्रद्युम्न को पूर्वज (पिता) और अहम् – रूप अनिरुद्ध को पुत्र माना गया है। ऐसा मानने में निरुक्त दृष्टि से भी कोई विसङ्गति नहीं है। निरुक्तकार ने अणिमादि सम्पन्न देवताओं को अन्योन्य प्रकृतिक (एक — दूसरे का कारण) माना है l प्रातः अग्नि से सूर्य समुत्पन्न होते हैं और सायं सूर्य से अग्नि समुत्पन्न होते हैं। अदिति से दक्ष की और दक्ष से अदिति की अभिव्यक्ति होती है। जीव संज्ञक संकर्षण , अहं संज्ञक अनिरुद्ध और मनःसंज्ञक प्रद्युम्न श्रीवासुदेव के ही अंश होने से उनसे अभिन्न हैं। ये मनोवाक्काय वृत्तियों से भगवान् वासुदेव की आराधना करके कृतकृत्य होते हैं। सर्गोन्मुख प्रधान तादात्म्यापन्न महेश्वर ही एक जीववाद की शैली में प्रधान जीव हैं। महत् संज्ञक मनोरूप प्रद्युम्न से अहं संज्ञक अनिरुद्ध की समुत्पत्ति सिद्ध है। चतुर्व्यूह के सम्बन्ध में प्रकारान्तर से यह जानकारी भी आवश्यक है कि श्रीराम और श्रीकृष्ण अग्रसंज्ञक पूर्व तत्त्व हैं। शेषसंज्ञक लक्ष्मण और संकर्षण अनुसंज्ञक पश्चात् तत्त्व हैं। वासुदेव धामी हैं और शेष धाम। धामी अभिव्यंग्य है और धाम अभिव्यञ्जक विशुद्ध सत्त्वात्मक श्रीतत्त्व और वसुदेव भी धामतत्त्व के ही अवान्तर रूप हैं। विशुद्ध अन्तःकरण का नाम वसुदेव है ; क्योंकि उसी में भगवान् वासुदेव का निरावरण स्फुरण होता है। उस विशुद्ध चित्त में स्थित इन्द्रियातीत भगवान् वासुदेव हम सब नमस्कार किया करते हैं । वासुदेव तुरीयब्रह्म हैं। तुरीयाश्रित शेष अव्याकृत (अव्यक्त प्रकृति , त्रिगुण साम्यावस्था , प्रधान) हैं। महाप्रलय में शेष रहने से और शेषी श्रीहरि के लिये प्रयुक्त होने से संकर्षण को शेष कहते हैं। ईश्वर और जीव के मध्यवर्ती तत्त्व चिदधिष्ठित अव्याकृत रूप शेष संज्ञक लक्ष्मण और संकर्षण आचार्य तत्त्व हैं। त्रेता में शेष श्रीराम के अनुज होकर लक्ष्मणरूप से अवतीर्ण होते हैं। स्वप्रकाश निरपेक्ष परमात्मा अनादि होने से पूर्वसंज्ञक हैं। अव्यक्त अनादि होता हुआ चिदधिष्ठित होनेसे अनुसंज्ञक है। अतएव श्रीराम अग्रज (पूर्वज) और लक्ष्मण अनुज हैं। द्वापर में शेषरूप संकर्षण संज्ञक बलराम अग्रज और वासुदेव संज्ञक श्रीकृष्ण अनुज। अभिव्यञ्जक धामको अग्र और अभिव्यंग्य धामी की अनु संज्ञा है। उक्त रीति से शेष और शेषी में दोनों ही अग्रज और दोनों ही अनुज मान्य हैं। दार्शनिक धरातल पर श्रीराम का पूर्वज और लक्ष्मणजी का अनुज होना चरितार्थ है। व्यावहारिक धरातल पर श्रीबलराम का पूर्वज और श्रीकृष्ण का अनुज होना चरितार्थ है।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Hot Topics

रोडवेज कार्यशालाओं का निजीकरण और दग्गामार खिलाफ अवध डिपो में जोरदार धरना प्रदर्शन

रोडवेज कार्यशालाओं का निजीकरण और दग्गामार खिलाफ अवध डिपो में जोरदार धरना प्रदर्शन रोडवेज कर्मचारी संयुक्त मोर्चा के सभी पदाधिकारी मौके पर रहे मौजूद तबरेज़...

राजपुर कला सहकारी समिति स्थित पटपरागंज में किसानों को खाद न मिलने से किसानों ने उच्च अधिकारियों को फोन कर सूचना दी

अवधेश सिंह बरेली मंडल प्रभारी राजपुर कला/अलीगंज---ब्लॉक मझगवां के ग्राम राजपुर कला सहकारी समिति के सचिव धर्मवीर यादव की व्यवस्था फेल होने से कुछ ग्रामीणों...

Related Articles

रोडवेज कार्यशालाओं का निजीकरण और दग्गामार खिलाफ अवध डिपो में जोरदार धरना प्रदर्शन

रोडवेज कार्यशालाओं का निजीकरण और दग्गामार खिलाफ अवध डिपो में जोरदार धरना प्रदर्शन रोडवेज कर्मचारी संयुक्त मोर्चा के सभी पदाधिकारी मौके पर रहे मौजूद तबरेज़...

राजपुर कला सहकारी समिति स्थित पटपरागंज में किसानों को खाद न मिलने से किसानों ने उच्च अधिकारियों को फोन कर सूचना दी

अवधेश सिंह बरेली मंडल प्रभारी राजपुर कला/अलीगंज---ब्लॉक मझगवां के ग्राम राजपुर कला सहकारी समिति के सचिव धर्मवीर यादव की व्यवस्था फेल होने से कुछ ग्रामीणों...