रखें हम वृद्ध जनों का ध्यान, करें उनका दिल से सम्मान।।
उन्हीं से है अपनी पहचान, वही हमको जग में लाये।।,,
हम अपने पुरखों के कारण, धरती पर आये।।,,
उन्हीं से है हम सबकी शान, करें हम उनका गौरव गान।।
बुढ़ापे में मत हों हैरान, उन्हीं से मेवा फल खाये।
हम अपने पुरखों के कारण, धरती पर आये।।,,
जिस दिन होंगे खुशी हमारे, मात पिता गुरु भाई।
उस दिन घर में शुभ मङ्गल की, गूँजेगी शहनाई।।
देवता देवी और भगवान, खुशी होंगे आँगन खलिहान।।
करेंगे सब तेरा कल्याण, उन्हीं की धन दौलत पाये।
हम अपने पुरखों के कारण, धरती पर आये।।,,
आज शिथिल हैं पिता हमारे, बूढ़ी हो गई माता।
उन्हें बुढ़ापे की लाठी बन, रखता स्वयं विधाता।।
हमारे जीवन के आधार, उतारें कुछ कर्जों का भार।।
उसी से होगा बेड़ा पार, बुढापा उनका मुस्काये।
हम अपने पुरखों के कारण, धरती पर आये।।,,
आज दौर जो उनका आया, कल अपना भी होगा।
आज अगर भोगेंगे वह तो, तुम्हें भोगना होगा।।
करें सब इन बातों पर गौर, आएगा तेरा भी यह दौर।।
यही नादाँ अपने सिरमौर, उन्ही से हम जग में छाये।
हम अपने पुरखों के कारण,धरती पर आये।।
अशोक पटसारिया नादान लिधौरा टीकमगढ़ मध्यप्रदेश