आधुनिक सुविधाओं के साथ सुसज्जित है पारस हॉस्पिटल।
पप्पू यादव (ब्यूरो प्रमुख) यूपी
कानपुर (अमर स्तम्भ).12 साल की एक बच्ची को 8 महीने पहले अल्सरेटिव कोलाइटिस का पता तब चला जब वह पारस अस्पताल पहुंची। लगभग दो महीने की अवधि बीत जाने के बाद उसकी बीमारी का तब पता चला जब उसने पारस हॉस्पिटल में अपने टेस्ट कराए। 3 महीने तक उसे लगातार उल्टियां हो रही थी डॉक्टर भी उल्टियों का कारण जानकर हैरान थे पहले गंभीर अल्सरेटिव कोलाइटिस की समस्या के कारण वह बार-बार परेशान थी। उसका वजन लगभग 6 किलोग्राम तक कम हो गया था।3 हफ्ते पहले उसे एक बार फिर से परेशानी हई राहत मिलने पर उसे अस्पताल से छुट्टी दे दी गई। हालाकि छुटटी के बाद भी मरीज को उल्टियां हो रही थीं। दूसरे अस्पताल में सुधार न होने पर पारस अस्पताल ने उसके इतिहास पर चर्चा कर गहन अध्ययन किया जिसमे तीव्र अग्नाशय शोथ के साथ साथ आंत क्षेत्रों के फैलाव के साथ एसएमए सिड्रोम का सझाव दे रही थी। पारस अस्पताल के डॉक्टर ने निदान की पुष्टि करने के लिए एक सी टी एजियोग्राम किया जिससे धममी (Aorta) और एसएमए (SMA) के बीच 18 डिग्री का कोण दिखा जिसके बीच में आत फंस रही थी। यह बीमारी तेजी से वजन कम होने से हो सकती है और वजन बढ़ने पर सुधर जाती है। वजन बढ़ाने के लिए भोजन देने के लिए 15 फ्रेंच सिलिकॉन ट्यूब इंडो स्कॉपी दवारा आंत के दबाव वाले हिस्से से जुड़ गई थी। एन जे फ़ीड के साथ साथ 7 दिनों के लिए फीडिंग ट्रायल, दिया गया लेकिन रुक-रुक कर उल्टी, दस्त और हल्का पेट दर्द था। जिसे वह बर्दाश्त नहीं कर पा रही थी और उसका वजन नहीं बढ़ रहा था। उपचार के सभी विकल्प माता, के सामने रखे गए और इयूएस-गैस्ट्रोजजनोस्टॉमी की योजना बनाई गई। इसके बाद उनको लसेन अपोजि अपोजिग मेटल इयएस-जीजे किया गया जिससे की पेट और आंत के आगे का हिस्सो को जोड़ा गया अल्ट्रासाउंड से इसे इसके बाद आहार देना शुरू कर दिया। अब उसे 6 महीने की उलटी का इलाज करने के बाद तरल दिया गया। अब बच्ची के वजन बढ़ाने का इंतजार किया जा रहा है उसका वजन बढ़ते ही लगाया गया आ रगुमेंट हटा दिया जाएगा।