भोपाल सिंह
बिजनौर :- जिलाधिकारी अंकित कुमार अग्रवाल की अध्यक्षता में कल देर शाम कलेक्ट्रेट सभागार में शीतलहर से बचाव हेतु बैठक आयोजित की गयी। जिलाधिकारी ने स्वास्थ्य, पशुपालन विभाग, लोनिवि सहित सभी संबंधित अधिकारियों से शीतलहर के बचाव के दृष्टिगत विभागीय तैयारियों की समीक्षा करते हुए निर्देश दिए कि सभी संबंधित विभाग अपने-अपने कार्यों के अन्तर्गत शीतलहर से संबंधित शेष रह गयी तैयारियों को तत्काल पूर्ण करना सुनिश्चित करें। उन्होंने कहा कि शीतलहर के प्रकोप से आमजन मानस की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए कार्य करें। इस अवसर पर अपर जिलाधिकारी वि0/रा0 अरविंद कुमार सिंह, मुख्य चिकित्साधिकारी कौशलेन्द्र्र सिंह, समस्त उप जिलाधिकारी, आपदा विशेज्ञय प्रशांत श्रीवास्तव सहित पशु पालन, पीडब्लूडी, परिवहन विभाग एवं अन्य विभागीय अधिकारी मौजूद थे।बैठक के दौरान जिलाधिकारी द्वारा शीत लहर के बचाव के दृष्टिगत एडवाइजरी जारी भी जारी की जो निम्न प्रकार है-गन्ना तथा भूसा ढोने वाले गाडियों जैसे-ट्रॉली, ट्रक, बैलगाड़ी पर क्षमता से अधिक गन्ना न लादें। सर्दियों में गाड़ियों में फॉग लाईट का इस्तेमाल करें। भार ढोने वाले वाहन के चालक इस बात का विशेष ध्यान रखें कि पीछे से आ रही एम्बुलेंस को रास्ता दें। दोपहिया वाहन चालक शीतलहर/ठंड में बहुत आवश्यक होने पर ही घर से वाहन लेकर बाहर निकलें, दोपहिया वाहन चालक शीतलहर/ठंड में बाहर निकलते समय गर्म कपड़े, दस्ताने, चश्मा, हेलमेट पहन कर निकलें।उन्होंने बताया कि कोयले की अंगीठी/मिट्टी तेल का चूल्हा/हीटर इत्यादि का प्रयोग करते समय सावधानी बरतें तथा कमरें में शुद्ध हवा का वायु-संचार बनायें रखें। ठंड लगने के लक्षणों जैसे हांथ-पांव सुन हो जाना, हांथ पैरे की उंगलियों में सफेद या नीले रंग के दाग उभर आने पर नजदीकी अस्पताल से सम्पर्क करें। हाइपोथर्मिया (शरीर के असामान्य तापमान) के लक्षण जैसे याददास्त का कमजोर पड़ना, असीमित ठिठुरना, सुस्ती, थकान, तुतलाना तथा कार्य में भटकाव इत्यादि के लक्षणों महसूस होने पर तुरन्त डॉक्टर से सम्पर्क करें।उन्होंने पशुओं के लिए जानकारी देते हुए बताया कि ठंड के मौसम में पशुओं को थनैला मिल्क फीवर नेमोटाइटिस आदि रोग होने का खतरा रहता है इसलिए पशुओं को समय-समय पर चिकित्सक को दिखाते रहें पशुओं को रात में खुले पेड़ के नीचे अथवा घर से बाहर ना निकालें। पशुओं को ठंड के समय में गुड़ व कैल्शियम टॉनिक पिलाएं पशुओं को ठंड के मौसम में जूट की बोरी अथवा घर में पड़ा पुराना कंबल उढाएं। प्रेगनेंट पशुओं को ठंड लगने की ज्यादा संभावना होती है उनके पास अलाव जलाकर रखें लेकिन यह भी ध्यान में रखें कि अलाव पशुओं से कुछ दूरी पर ही जलाऐं जिससे पशुओं को कोई नुकसान ना पहुंचे।उन्होंने बताया कि शीत लहर और पाला फसलों को काला रतुआ, सफेद रतुआ, पछेती झुलसा आदि बीमारियों सहित बीमारियों के कारण नुकसान पहुंचाता है। शीत लहर अंकुरण, विकास, फूल, उपज और भंडारण जीवन में विभिन्न प्रकार के शारीरिक व्यवधानों का भी कारण बनती है। ठंड प्रतिरोधी पौधों/फसलों/किस्मों की खेती करें। सर्दियों के दौरान नर्सरी और युवा फलों के पौधों को प्लास्टिक से ढककर या छप्पर बनाकर विकिरण अवशोषण को बढ़ाएं और गर्म तापीय व्यवस्था प्रदान करें।