उपसंचालक पशुधन विभाग गरियाबंद ने ग्रामीणों को बताया झूठा और पोल्ट्री फार्म संचालक को दे दी क्लीन चिट,ग्रामीणों की स्वास्थ के साथ खिलवाड़, रसुखदारो के सामने कानून और प्रशासन की बेबसी की पढ़े पूरी कहानी…
गरियाबंद (अमर स्तम्भ)। पोल्ट्री फार्म की बदबू और मक्खी से परेशान सैकड़ों ग्रामीणों ने अपनी परेशानी बताते हुए गरियाबंद कलेक्टर को लिखित में शिकायत कर पोल्ट्री फार्म को रिहायशी क्षेत्र से हटाने की मांग किए थे।जिस पर कलेक्टर ने पशु धन विभाग के उपसंचालक डीएस ध्रुव को जांच कर कार्यवाही के निर्देश दिए थे।लेकिन एक बार फिर ग्रामीणों की उम्मीद पर पानी फिर गया और उसे न्याय नहीं मिला पाया।जबकि गरियाबंद में नव पदस्थ. महिला कलेक्टर से ग्रामीणों को काफी उम्मीद थी। पशु धन विभाग के अधिकारियों ने ग्रामीणों की स्वास्थ के साथ खिलवाड़ करने वाले मामले में ऐसा ताना बुना और जांच में ऐसा लीपापोती किया की इन जिम्मेदारों के करतूतों को सुनकर आप तो हैरान हो जाएंगे।लेकिन इन अधिकारियों को आम नागरिकों की स्वास्थ से कोई सरोकार नहीं है।जिम्मेदार अधिकारियों द्वारा पोल्ट्री फार्म के संचालक के साथ मिलीभगत कर जांच में जमकर लीपापोती कर मामले को ठंडा बस्ते में डाल दिया और रसुखदार पोल्ट्री संचालक को क्लीन चिट दे दी और पीड़ित ग्रामीणों की शिकायत को गलत बता दिया।जिसके चलते ग्रामीण पोल्ट्री फार्म से निकलने वाली असहनीय बदबू और मक्खी के बीच रहने मजबूर है।लेकिन इनकी परेशानियों के प्रति न तो जिला प्रशासन गंभीर है और न ही नेता व जनप्रतिनिधियो को कोई सरोकार है।नतीजन सारे नियम, कायदा और कानून को ताक में रखकर आबादी क्षेत्र में पोल्ट्री फार्म का संचालन हो रहा है और ग्रामीणों के स्वास्थ के साथ खिलवाड़ हो रहा है।
मामला छुरा ब्लॉक के ग्राम पंचायत साजापाली का है जहा नियम विरुद्ध आबादी क्षेत्र में वर्षो से संचालित पोल्ट्री फार्म से आंगनबाड़ी व स्कूली बच्चों सहित ग्रामीणों के स्वास्थ के ऊपर खतरा मंडरा रहा है।
आदिवासी विकासखंड छुरा में पूर्व जनपद सदस्य खेलन बाई साहु जो दो बार जनपद सदस्य के जि़म्मेदार पद पर रह चुकी है।
जिसके द्वारा पंचायत और प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड के बिना एनओसी और सारे नियम को ताक में रखकर पोल्ट्री फार्म का संचालन गांव के अंदर किया जा रहा है।जिसकी शिकायत ग्रामीणों ने पहले भी की थी पर कार्यवाही नहीं होने की वजह से प्रशासन पर ग्रामीणों का भरोसा उठ रहा है। ऐसे में एक बार फिर 8 मार्च को ग्राम के मोहल्लेवासी और ग्रामीणों ने कलेक्टर गरियाबंद को लिखित शिकायत कर कार्यवाही की मांग किए थे।जिसके बाद गरियाबंद कलेक्टर ने टीएल की बैठक में 9 मार्च को जांच के आदेश संबंधित विभाग को दिए थे।उसके बाद जांच भी हुआ लेकिन जांच में केवल खानापूर्ति कर ज़िम्मेदारो द्वारा अपने कर्त्तव्यो से इतश्री कर रसुखदार पोल्ट्री फार्म के संचालक को बचाने जांच में लीपापोती कर दिया।इतना ही नहीं जांच अधिकारियों द्वारा जांच में वही लिखा जो पोल्ट्री फार्म के संचालक द्वारा बताया गया।मामले में किसी भी ग्रामीण का बयान लेना भी उचित नहीं समझा और पोल्ट्री फार्म के संचालक ने जो बताया वही जांच प्रतिवेदन तैयार कर उच्च अधिकारियों को को प्रेषित कर दिया। जांच के समय जब अधिकारी आए तो पीड़ित ग्रामीणों को पोल्ट्री संचालक के घर बुलाए , पर शिकायतकर्ता
नही गए क्योंकि जानबूझकर मामले को रफा दफा करने के नियत से अधिकारी ने पोल्ट्री संचालक के घर बुलाए और वही ग्रामीणों से बिना बयान लिए एकतरफा पंचनाम कर चलते बने ।जबकि जांच अधिकारी को पंचायत या फिर सार्वजनिक स्थल पर बुलाकर बयान लिया जाना था , न की उनके घर पर।
पोल्ट्री फार्म में न तो स्टॉक पंजी की जांच किया और न ही किसी भी प्रकार का दस्तावेज परीक्षण किया।जिससे अंदाजा लगाया जा सकता है की इतने बड़े मामले में विभाग के लापरवाहो द्वारा जांच में कितना बड़ा गड़बड़झाला किए है।कुल मिलाकर इस पूरे मामले में जांच अधिकारी पशु धन विभाग के उपसंचालक और पोल्ट्री फार्म संचालक के बीच तगड़ा सेटिंग की बू आ रही है। तू डाल डाल मै पात पात की कहावत यहां साबित हो रही है।
10सालो से ग्रामीण खा रहे है खाने के साथ मक्खी और हो रहे है बदबू से परेशान
ग्राम साजापाली एक ऐसा गांव है जंहा पोल्ट्री फार्म बस्ती से लगे होने के कारण यहा के ग्रामीण लगभग 10 सालो से खाने के साथ मक्खी खा रहे है और बदबू झेल रहा है।पोल्ट्री फार्म की वजह से उपजे मक्खियों और बदबू ने ग्रामीणों का जीना हराम कर दिया है और अधिकारी इनकी शिकायत को गलत ठहराते हुए कह रहे है की मुर्गी फार्म बस्ती से 600 मीटर के दूरी पर है।आखिर इन अधिकारियों ने कौन से चश्मे पहनकर मौका निरीक्षण और जांच किया ये समझ से परे है।जबकि पोल्ट्री फार्म बस्ती से लगा हुआ है।जबकि नियम के तहत पोल्ट्री फार्म आबादी क्षेत्र से 500 मीटर की दूरी पर संचालित होना चाहिए। कही रसूखदार पोल्ट्री फार्म के संचालक ने इन अधिकारियों को हरे पत्ती वाला महंगा चश्मा तो नही पहना दिया।जिसके कारण इन्हें उस चश्मे में ग्रामीणों की समस्या और रिहायशी क्षेत्र में स्थित पोल्ट्री फार्म दिखाई नही दिया।एक तरफ सरकार आम नागरिकों की स्वास्थ के प्रति अनेक योजनाएं बनाकर करोड़ो खर्च कर रही है।तो दूसरी यहा लोगो की स्वास्थ के साथ खिलवाड़ करने का खेल पशु धन विभाग के सरंक्षण में खूब चल रहा है।
आपको बता दे की ग्राम पंचायत साजापाली के रहने वाले लक्ष्मीनारायण साहू शिक्षक पिता
प्रीत राम साहू द्वारा बीते लगभग 10 वर्षों से अवैध रूप से भारी मात्रा में पोल्ट्री फार्म का संचालन गांव में कर रहे है। जिसका ना तो किसी प्रकार से पंचायत एनओसी है नहीं कोई वैध दस्तावेज है । जबकि उक्त व्यक्ति शिक्षक जैसे महत्वपूर्ण पद पर आसीन है जो अवैध रूप से पोल्ट्री फार्म रिहायशी इलाके में चलाकर लोगो की स्वास्थ के साथ खिलवाड़ कर रहा है।तो वही उनकी पत्नी व पूर्व जनपद सदस्य कह रही है की पोल्ट्री फार्म मेरे नाम पर है।ऐसे में आसपास के ग्रामीण बीते लगभग 10 वर्षों से इस कदर परेशान है कि फार्म की बदबू और वहां से निकलने वाली मक्खी से पूरा क्षेत्र के ग्राम प्रदूषित हो रहा है हालांकि इसके बारे में समय-समय पर आवाज उठाया गया, पर रसूखदार शिक्षक के परिवार होने की वजह से आवाज केवल गांव में ही दब के रह गया।वही इसी गांव में पोल्ट्री फार्म से लगभग 100 मीटर की दूरी पर आंगनवाड़ी केंद्र है जहां छोटे-छोटे बच्चे पढ़ाई करते है और पोषण आहार लेते हैं। ऐसे में बच्चों के स्वास्थ्य पर कितना बुरा असर पड़ता होगा पर जिम्मेदार पदों पर बैठे उच्च अधिकारी और प्रशासन के नुमाइंदे को इसकी फिक्र नहीं है। छोटे-छोटे बच्चों को पोल्ट्री फार्म से निकलने वाली दूषित हवा और संक्रमण फैलाने वाले मक्खियों के बारे में कुछ पता नहीं ।वहीं आसपास के ग्रामीण बताते हैं कि जब से पोल्ट्री फॉर्म गांव में बना है तब से हम लोग काफी परेशान हम लोगो का खाना पीना सब हराम हो गया है। पोल्ट्री फार्म से निकलने वाली मक्खी थाली मे बैठ जाता है ये हमरी बेबसी है की हमारी समस्या को कोई ध्यान नही देता और वही रसूखदार परिवार होने की वजह से इनके ऊपर प्रशासन मे अच्छी पहुंच है जिस वजह से कार्रवाई केवल शासन के एवं अधिकारियों की टेबल तक जाती है पर कार्यवाही नही होता ।
जिस वजह से संचालक पूर्व जनपद सदस्य व शिक्षक के हौसले बुलंद है ।यह केवल एक ही पोल्ट्री फॉर्म नहीं है। ऐसे ही प्राथमिक शाला एवं माध्यमिक शाला साजापाली के आस-पास बनाया जिससे स्कूली बच्चे काफी परेशान रहते है।आज एक बार फिर ग्रामीणों का भरोसा प्रशासन से उठ गया।इतने बड़े मामले में जिस तरह से लीपापोती हुआ उससे आज एक बार फिर पैसे की ताकत के सामने सारे कायदा कानून और नियम पूरी तरह से नतमस्तक होते और बेबस दिखाई दे रहा है।अब इस मामले को लेकर पीड़ित ग्रामीण कोर्ट का दरवाजा खटखटाने की तैयारी में है।
वर्जन 1
हम लोग जांच के लिए गए थे।जांच में हमने पाया कि नियम के तहत पोल्ट्री फार्म का संचालन किया जा रहा है।ग्रामीणों की शिकायत झूठा एव निराधार है।
डीएस ध्रुव ,उपसंचालक पशुधन विभाग
वर्जन 2
मामले की जानकारी है दिखवाती हु।
नम्रता गांधी ,कलेक्टर गरियाबंद