भुतप्रेत भगाने के नाम पर थमाया ताबिज और पावडर
पुलिस की मेहनत लाई रंग 05 घंटे के भीतर आरोपी चढ़ा छुरा पुलिस के हत्थे भेजा गया जेल
छुरा (अमर स्तम्भ)। इसमें कोई दो राय नहीं कि हमारे देश के लोग हमेशा से ही बेहद सीधे-सादे और भोले रहे हैं। और हमेशा से ही इनकी शराफत व सादगी का शोषण होता आया है। हमारे समाज में एक अनपढ़-जाहिल परंतु चतुर व चालाक व्यक्ति अपनी युक्ति व तिकड़मबाज़ी से किसी भी समझदार व्यक्ति को ठगने में सफल हो सकता है।हमारे देश के लोगों में एक-दूसरे पर विश्वास करने की भी पुरानी आदत है। ज़ाहिर है यहीं से विश्वासघात भी अपनी जगह बनाता है।मिसाल के तौर पर लाख जागरूक करने के बावजूद तथा चिकित्सकों व मनोवैज्ञानिकों या मनोरोग विशेषज्ञों द्वारा समझाने-बुझाने के बावजूद आज हमारे देश में दवाई के नाम पर तमाम किस्म की जड़ी-बूटियां सड़कों पर बिक रही हैं तथा अनेक शिफाखाने व औषधालय आदि चल रहे हैं।
प्रसिद्ध चिंतक एवं विचारक ओशो अपने एक प्रसंग में बयान करते हैं कि-‘एक अंग्रेज़ हमारे देश में फुटपाथ पर पैदल चला जा रहा था कि सड़क के किनारे बैठे एक ‘ज्योतिषी’ ने उस अंग्रेज़ को आवाज़ देते हुए कहा -‘आईए मैं आपको केवल दो रुपये में आपका भविष्य बताऊंगा। अंग्रेज़ ने जवाब दिया कि मुझे अपने भविष्य के बारे में पता करने में कोई दिलचस्पी नहीं है।ज्योतिषी उस अंग्रेज़ से बार-बार जि़द करता रहा कि वह दो रुपये खर्च कर अपना भविष्य जान ले। परंतु अंग्रेज़ बार-बार यही कहकर मना करता गया कि मैं अपना भविष्य जानना ही नहीं चाहता। इस पर ज्योतिषी ने झल्लाकर अंग्रेज़ से कहा कि तुम कैसे भौतिकवादी हो जो दो रुपये बचाने के लिए अपना भविष्य ही नहीं जानना चाहते? इस पर उस अंग्रेज़ ने जवाब दिया कि भौतिकवादी मैं नहीं बल्कि तुम हो जो मुझसे दो रुपये ऐंठने के चक्कर में मुझे मेरी इच्छा के विरुद्ध मेरा भविष्य बताने पर तुले हो’? कमोबेश आज पूरे भारत में ‘भौतिकवाद’ का यही नज़ारा आसानी से देखा जा सकता है। जो लेाग वास्तव में किसी न किसी समस्या से परेशान हैं वह तो अपनी समस्याओं के समाधान तलाशते ही हैं परंतु जो परेशान नहीं भी हैं उन्हें उकसा कर या बहला-फुसला कर इस बात के लिए आमादा किया जाता है कि वे अपने जीवन में अपना मनचाहा मकसद हासिल करने के लिए जादू-टोना,तंत्र-मंत्र व ज्योतिष विद्या का सहारा लें।
इसमें कोई दो राय नहीं कि हमारे देश के लोग हमेशा से ही बेहद सीधे-सादे और भोले रहे हैं। और हमेशा से ही इनकी शराफत व सादगी का शोषण होता आया है। हमारे समाज में एक अनपढ़-जाहिल परंतु चतुर व चालाक व्यक्ति अपनी युक्ति व तिकड़मबाज़ी से किसी भी समझदार व्यक्ति को ठगने में सफल हो सकता है। हमारे देश के लोगों में एक-दूसरे पर विश्वास करने की भी पुरानी आदत है। ज़ाहिर है यहीं से विश्वासघात भी अपनी जगह बनाता है। मिसाल के तौर पर लाख जागरूक करने के बावजूद तथा चिकित्सकों व मनोवैज्ञानिकों या मनोरोग विशेषज्ञों द्वारा समझाने-बुझाने के बावजूद आज हमारे देश में दवाई के नाम पर तमाम िकस्म की जड़ी-बूटियां सड़कों पर बिक रही हैं तथा अनेक शिफाखाने व औषधालय आदि चल रहे हैं। अखबारों में इस संबंध में झूठे विज्ञापन प्रकाशित किए जाते हैं तथा फर्जी मरीज़ों के झूठे बयान प्रकाशित कराए जाते हैं। यहां तक कि फर्ज़ी लोगों के फर्ज़ी फोन नंबर पर भी आप बात कर संतोष हासिल कर सकते हैं कि अमुक व्यक्ति ने इस दवाई का इस्तेमाल किया था और उसे इसका लाभ हुआ।हमारे देश के ‘देसी बाज़ार’ में ऐसा ही एक और धंधा कई दशकों से चला आ रहा है। रेलवे लाईन के किनारे की दीवारों पर,बाज़ारों में,अधिक भीड़ वाली पैसेंजर रेलगाडिय़ों में तथा स्थानीय बसों में आपको तरह-तरह के वैद्यों,हकीमों,बाबाओं,सूफी, बंगाली बाबा,ज्योतिषाचार्य,पंडित जी, हकीम अथवा वैद्य सम्राट शीर्षक के नाम के तमाम स्टिकर,इश्तिहार,पोस्टर अथवा पंपलेट लगे मिल जाएंगे। इन इशितहारों में कई ‘दिलेर’ किस्म के ठगों ने तो अपनी बहुरूपिया सी फोटो भी छपवा रखी है जबकि कई इश्तिहार ऐसे हैं जिनमें शिरडी वाले साईं बाबा के चित्र का प्रयोग किया गया है तो कई में इंद्रजाल या भूत-प्रेत के रेखाचित्र छापे गए हैं। इन इश्तिहारों में ‘ठगानंद’ वैद्य-हकीम अपने संपर्क नंबर मोटे-मोटे अक्षरों में प्रकाशित करवाना नहीं भूलते। इन इश्तिहारों में जिन रोगों,परेशानियों व चिंताओं का समाधान करने का यह लोग दावा करते हैं वह भी गौर फरमाईए।
ऐसे ठग तांत्रिकों व तथाकथित ज्योतिषियों का दावा है कि वे कारोबार,नौकरी,सौतन से छुटकारा,गृह क्लेश,व्यापार में लाभ,प्रेम विवाह,मनचाहा प्यार हासिल करना,दुश्मन को अपने सामने तड़पता देखने प्यार में धोखा खाए हुए प्रेमी-प्रेमिका, पति-पत्नी में अनबन, मुठकरणी,प्यार व शादी में रुकावट,पति या प्रेमी किसी और के चक्कर में हो तो उसका ध्यान हटाना,लोगों के दिलों पर राज करने की कला,वशीकरण,परीक्षा में पास होने जैसे विषयों में सौ प्रतिशत सफलता की गारंटी देते हैं।ऐसा ही ठगी का मामला गरियाबंद जिला के थाना छुरा नगर के मामुलीपारा का सामने आया हैं जहाँ दिनांक 21.10.2021 को प्रार्थी गजराज बंजारे के घर गुरु घासीदास जयंती का चंदा वसुलने महासमुंद जिले से पहुंचे दो लोगों ने प्रार्थी की पुत्री और उसकी पत्नी को जादू टोना होना तथा भुत प्रेत भगाने का झांसा देकर प्रार्थी की पुत्री से अविश्वास का फायदा उठाकर नकदी रकम 57,000 हजार रूपये तथा 1,00,000 रूपये कीमत के सोने चांदी के जेवरात लेकर पर किसी को न बताने की हिदायत देकर फरार हो गये थे प्रार्थी को इस बात की जानकारी हुई तब उसने इसकी लिखित शिकायत थाना छुरा में की थी। थाना छुरा पुलिस द्वारा मामले को गंभीरता से लेते हुए प्रकरण पंजीबद्ध कर आरोपियों की पतासाजी की जा रही थी।
प्रकरण की दर्ज करने के 05 घंटे के भीतर ही छुरा पुलिस द्वारा आरोपी को पकड़ने में सफलता प्राप्त हुई हैं।पुलिस को आरोपी ब्रम्हदेव आवड़े के ग्राम हाथीगढ़ में होने की सूचना प्राप्त होने पर जिला गरियाबन्द के पुलिस कप्तान जे०आर० ठाकुर के निर्देशन एवं अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक चन्द्रेश सिंह ठाकुर,उपपुलिस अधीक्षक निशा सिन्हा के मार्गदर्शन एवं अनुविभागीय अधिकारी पुलिस श्री पुष्पेन्द्र नायक के पर्यवेक्षण में थाना प्रभारी वेदवती दरियों के नेतृत्व में पुलिस टीम ग्राम हाथीगढ़ रवाना हुई थी जहां आरोपी ब्रम्हदेव आवड़े को हिरासत में लेकर थाना छुरा लाया गया जहां पूछताछ करने पर आरोपी द्वारा अपने सहयोगी सोनू टण्डन के साथ मिलकर जादू टोना का झांसा देकर नकदी रकम एवं सोने चांदी के जेवरात लेकर फरार हो जाना स्वीकार करने पर आरोपी प्रहदेव आवड़े को विधिवत गिरफ्तार कर न्यायिक रिमांड पर जेल भेजा गया है तथा आरोपी सोनू टण्डन की पतासाजी जारी है।
उक्त कार्यवाही में रही इनकी मुख्य भूमिका
उक्त कार्यवाही में विशेष सहयोग सउनि० सुरेश निपाद प्रधान आरक्षक हीरालाल चंद्राकर खिलेश्वर कश्यप,आरक्षक शिव दयाल नागेश डेकेश्वर सोनी, नरेन्द्र साहू, रविशंकर नेताम का सराहनीय योगदान रहा।
गिरफ्तार आरोपी
ब्रम्हदेव आपड़े पिता केजुराम आवडे उम्र 40 वर्ष
साकिन ग्राम हाथीगढ़ थाना खल्लारी जिला महासमुद छ0ग0
भौतिकवाद के दौर में जादू-टोना,तंत्र-मंत्र,ज्योतिष विद्या के नाम पर ठगी के लोग होते हैं शिकार
इन ठगों का ऐसे आधारहीन विज्ञापन में तरह-तरह की शेर-ओ-शायरी भी लिखी होती है।सोसल मीडिया में वाकायदा इनका एप्स औऱ एकाउंट होते जिसे पढ़कर शरीफ व सीधे-सादे लोगों में जोश व आत्मविश्वास पैदा होता है। हमारे समाज में उपरोक्त समस्यओं अथवा नामर्दी जैसे विषयों पर वैसे भी कोई व्यक्ति एक-दूसरे से अपनी परेशानियां सांझा नहीं करना चाहता। यही वजह है कि इन ठगरूपी ज्योतिषियों,बाबाओं व हकीमों के काले कारनामों व इनके ठगी के इस धंधे का भंडाफोड़ नहीं हो पाता। और इनकी ठग विद्या पर आधारित यह दुकानदारी केवल विज्ञापन व इश्तिहार के दम पर चलती ही रहती है। मिसाल के तौर पर यदि किसी व्यक्ति ने अपने किसी दुश्मन को नीचा दिखाने या उसे अपनी आंखों के सामने तड़पता हुआ देखने के मकसद से किसी ठग तांत्रिक की सेवाएं लीं तो निश्चित रूप से उसे उस तांत्रिक को पहले उसके सेवा शुल्क का भुगतान करना होगा।उसके बाद वह तांत्रिक या ज्योतिषी उसे तरह-तरह के उपाय सुझाएगा। यह उपाय कभी कष्टदायक तो कभी दीर्घकालिक भी होते हैं। अब आप यह मानकर चलिए कि इन उपायों के करने के बाद भी उसके दुश्मन का कुछ नहीं बिगडऩे वाला। अब आप स्वयं सोचिए कि कोई ग्राहकअपने दुश्मन को तड़पता हुआ न देखने की स्थिति में अपनी शिकायत लेकर आिखर कहां जाएगा? न ही वह किसी थाने में अपने ठगे जाने की रिपोर्ट कर सकता है न ही अपने किसी मित्र या परिजन से यह राज़ बता सकता है। क्योंकि उसे यह भी डर होगा कि कहीं उसके दुश्मन को भी यह पता न चल जाए कि वह उसे नुकसान पहुंचान हेतु किसी ज्योतिषी के दरवाज़े खटखटा रहा है।
हमारे सीधे-सादे व शरीफ नागरिकों को इस प्रकार के फर्ज़ी व ढोंगी नेटवर्क से छुटकारा दिलाने की ज़रूरत है। सरकार व प्रशासन को चाहिए कि इस प्रकार के झूठे दावे करने वाले इश्तिहारों को सार्वजनिक रूप से कहीं चिपकाने पर पाबंदी लगाए। ऐसे इश्तिहार फर्ज़ी तो होते ही हैं साथ-साथ यह इश्तिहार तमाम रेलगाडिय़ों के डिब्बों,बस अड्डों व सार्वजनिक सरकारी व गैर सरकारी दीवारों को भी गंदा करते हैं। पढ़े-लिखे व जागरूक लोग जहां ऐसे इश्तिहारों को देखकर इनका मज़ाक उड़ाते हैं वहीं देश की भोली व मासूम जनता इन इश्तिहारों पर विश्वास कर इन्हें फोन मिलाकर इनके चंगुल में भी फंस जाती है। ज़ाहिर है हमारा देश प्राचीनकाल में ‘विश्वगुरु’ कहा जाता था मगर कलयुग के इस दौर में सच्चे गुरु की तलाश तो शायद संभव नहीं। हां,ऐसे ढोंगी गुरु घंटाल तो लाखों की तादाद में इधर-उधर घूमते-फिरते,भटकते दिखाई दे जाएंगे। ऐसे ही कुछ ‘बुद्धिमान’ चतुर एवं चालाक लोगों ने तंत्र-मंत्र,ज्योतिष तथा दुआ-ताबीज़ व आशीर्वाद के नाम पर ठगी का जाल बिछा रखा है।
निश्चित रूप से इनके पास अपने दावों के समर्थन में कोई थ्यौरी,प्रमाणिकता अथवा तर्क नहीं हैं। इस काम को यह लोग भले ही अपने इश्तिहारों के माध्यम से शत-प्रतिशत सफलता हासिल करने वाला धंधा क्यों न बताते हों परंतु इसमें सफलता हासिल करने की दरअसल एक प्रतिशत भी संभावना नहीं होती है। लिहाज़ा सरकार व प्रशासन को इनकी क़लई तो खोलनी ही चाहिए साथ-साथ समाज के शिक्षित,सचेत व जागरूक लोगों को भी चाहिए कि वे आम जनता को खासतौर पर शरीफ व सज्जन लोगों को ऐसे ठगों के चंगुल में फंसने से बचाने के लिए जागरूकता मुहिम चलाएं।