मनोज सिंह/ जिला ब्यूरो
टीकमगढ़। चिकित्सीय क्षेत्र में फर्जीवाड़ा करने के लिए मशहूर रहने बाले नगर कारी के अपंजीकृत डॉ शिखरचन्द्र जैन के विरुद्ध आखिरकार एफआईआर हो ही गई। हालांकि स्वास्थ्य विभाग के अनुसार देहात थाना प्रभारी बृजेश कुमार लगभग एक माह बाद तक उक्त मामले में
बहानेबाजी व लेटलतीफी कर एफआईआर न करने की कोशिश करते रहे। लेकिन सीएमएचओ डॉ पीके माहौर व बड़ागांव वीएमओ डॉ शांतनु दीक्षित की लगन व मेहनत एबं पुलिस अधीक्षक प्रशांत खरे की सक्रियता के चलते एफआईआर हो गई।
ज्ञात हो कि पिछले माह 26 अगस्त के दिन सीएमएचओ डॉ पीके माहौर के निर्देशानुसार बड़ागांव वीएमओ डॉ शांतनु दीक्षित, फार्मासिस्ट शैलेन्द्र मिश्रा एबं कम्प्यूटर ऑपरेटर प्रदीप राय एबं स्वास्थ्य विभाग की टीम के साथ कारी में अपंजीकृत चिकित्सक शिखर चन्द्र जैन की अबैध क्लिनिक पर छापा मारा था। जहां कार्यवाही के दौरान पाया गया कि शिखर चन्द्र जैन के द्वारा अबैध क्लीनिक संचालित कर 8 मरीजों को भर्ती कर इलाज किया जा रहा था। साथ ही क्लीनिक पर शासकीय एलोपैथी दवाईयां भी पाई गई। जिनपर नॉट फ़ॉर सेल लिखा होंने के बाबजूद बेचा जा रहा था। छापामार कार्यवाही के दौरान उक्त एलोपैथी शासकीय दवाईयो को जब्त किया गया एवं संचालित अबैध क्लीनिक को सील किया गया। इसके बाद स्वास्थ्य विभाग की ओर से देहात थाने में आबेदन देकर अपंजीकृत चिकित्सक शिखर चन्द्र जैन के विरुद्ध बिना किसी पंजीयन के अबैध क्लीनिक का संचालन करने, मप्र उपचर्याग्रह एवं रूजोपचार अधिनियम 1973 की उपधारा 3 के अतंर्गत ऐलोपैथी चिकित्सा पद्धती में अपात्र होने पर एवं एलोपेथी चिकित्सा व्यवसाय करने पर एफआईआर करने के लिए कहा गया। लेकिन देहात थाना प्रभारी द्वारा उक्त मामले में एक माह तक टाला मटोली की गई। तब उक्त मामले में फरियादी डॉ शांतनु दीक्षित की लगातार पहल व पुलिस अधीक्षक की सक्रियता के बाद 25 सितंबर को एफआईआर की गई।