बांदा ब्यूरो चीफ मयंक शुक्ला
बांदा। निराश्रित गौवंश संरक्षण सम्बन्धी नामित नोडल अधिकारियों की समीक्षा बैठक कलेक्टेट सभागार में जिलाधिकारी दुर्गा शक्ति नागपाल की अध्यक्षता में सम्पन्न हुई। जिलाधिकारी ने बैठक में नामित नोडल अधिकारियों द्वारा गौवंश संरक्षण हेतु किये गये निरीक्षण की जानकारी प्राप्त करते हुुए निर्देश दिये कि निराश्रित गौवंश संरक्षण के सम्बन्ध में सभी नोडल अधिकारी पूरी लगन व निष्ठा के साथ कार्य करें, ताकि गौवंशों को किसी प्रकार की कठिनाई से बचाया जा सकेे। जिलाधिकारी ने कहा कि आदर्श गौशाला की स्थापना हेतु निर्धारित मानक के अनुसार शेड(टीन/ग्रीनशेड/सीमेन्ट) गौवंश संख्या के अनुसार निर्मित कराये जायें तथा शेड में प्रकाश व्यवस्था, भूसा भण्डार ग्रह, नर/मादा/बच्चा का अलग-अलग शेड एवं पंखे, वृक्षारोपण, सुरक्षा व्यवस्था, हरे चारे हेतु नेपियर घास का रोपण, गोबर गैस प्लांट, खुरदरी इण्टर लाॅकिंग टाइल्स/सीसी, बर्मी कम्पोस्ट पिट, गोबर कास्ट एवं गोमूत्र से जीवामृत तैयार करना, सोलर लाइट, पानी/खाने की पक्की चरही बनवायी जायेें। पुट्टी मशीन (पावर/हस्तचलित), बाउन्ड्रीवाल/फेन्सिंग का कार्य शीघ्र कराया जाए। उन्होंने कहा कि ग्राम पंचायत की चारागाह/गोचर की भूमि पर नेपियर घास उगायी जाए तथा छाया हेेतु एसबेसटाॅस शीट लगवायी जाए तथा भूसा संरक्षित रखने हेतु जमीन से दो से ढाई फुट ऊंचा चबुतरा बनवा लें और पाॅलीथिन से ढंके जिससे कि वर्षा का जल न पहुंच सके। प्रकाश के लिए सोलर लाइटों का उपयोग किया जाए तथा गौशालाओं में तारबाडी जरूर करवा लें एवं जहां-जहां चरही नही बनी हुई है वहां पर डेढ फुट की चरही बनायी जाए तथा गौवंश के बच्चों के हिसाब से छोटी चरही का निर्माण कराया जाए, जिससे किसी भी प्रकार की गौवंशो को समस्या न हो सके। नामित नोडल अधिकारियों से गौशालाओं के विजिट के सम्बन्ध में एक-एक अधिकारी से वार्ता कर जिलाधिकारी द्वारा जानकारी प्राप्त की गयी कि गौशालाओं में क्या-क्या आवश्यकतायें एवं क्या-क्या मूलभूत सुविधायें हैं।
जिलाधिकारी ने गौशाला कोे गोद लेने वाले अधिकारियों को निर्देश दिये कि गौशालाओं को आदर्श गौशाला के रूप में विकसित किया जाए इस अवधि के पश्चात उनके द्वारा गौशालाओं के सचालन की गे्रडिंग करायी जाएगी। गौशालाओं के संचालन में उत्कृष्ठ कार्य करने वाले अधिकारियों को सम्मानित भी किया जायेगा। इसके अतिरिक्त इनकी वार्षिक चरित्र प्रविष्टि में इसका उल्लेख भी किया जायेगा। जिलाधिकारी ने कहा कि नामित अधिकारियों का यह दायित्व होगा कि वह प्रति सप्ताह आवंटित गौशालाओं का निरीक्षण करेंगे तथा प्रारूप पर आख्या संलग्न कर मुख्य पशु चिकित्सा अधिकारी कार्यालय को प्रेषित करेंगे। निरीक्षण के समय गौशाला के सफल संचालन हेतु समस्त स्टेक होल्डर्स यथा ग्राम प्रधान, ग्र्राम सचिव, सहायक विकास अधिकारी पंचायत, पशु चिकित्सा अधिकारी, केयर टेकर आदि के साथ समन्वय स्थापित करेंगे। गौशाला में मूलभूत व्यवस्थाओं को सुनिश्चित करने का दायित्व सम्बन्धित अधिकारियों का होगा। भूसा एवं हरे चारे की ससमय व्यवस्था तथा गौशालाओं की साफ-सफाई की व्यवस्था आदि का भी अनुश्रवण नामित अधिकारियों द्वारा नियमित रूप से किया जायेगा। गौशाला में उत्पन्न किसी भी विवाद को सर्वप्रथम अपने स्तर से निस्तारित किया जायेगा अन्यथा की स्थिति में उच्चाधिकारियों से समन्वय स्थापित करते हुए विवाद को समाप्त कराया जायेगा। गौशालाओं में मृत गौवंशो का सम्मान पूर्वक निस्तारण तथा बीमार गौवंशों का समय से इलाज कराने हेतु भी व्यवस्थायें सुनिश्चित करायी जायेंगी। बैठक में नामित नोडल अधिकारियों ने अपनी-अपनी समस्याओं से अवगत कराया, जिसको शीघ्र निस्तारण कराया जायेगा। उन्होंने कहा कि जिस ग्राम में ग्राम प्रधानों का सहयोग न मिल रहा हो, वहां डीपीआरओ से सम्पर्क कर अवगत कराया जाये।
बैठक में मुख्य विकास अधिकारी वेद प्रकाश मौर्य, जिला अर्थ एवं संख्याधिकारी संजीव बघेल, परियोजना निदेशक एवं समस्त उप जिलाधिकारी, तहसीलदार एवं समस्त नोडल अधिकारी गण, सभी पशु चिकित्सा अधिकारी गण उपस्थित रहे!