माँ मात्र एक शब्द कोश का शब्द ही नहीं एक पावनतम अहसास है सम्पूर्ण जीवन के प्रत्येक पल का अनुभव है जीवन को जीने का प्रथम और सर्वश्रेष्ठ आधार है सबसे बड़ा विश्वास है कभी न टूटने वाला सहारा है माँ । ईश्वर प्रदत्त सर्वश्रेष्ठ वर ही नहीं अपितु वह तो स्वयं ही ईश्वर का प्रतिरूप है।
कहते हैं भगवान हर समय हर जगह उपलब्ध नहीं हो सकता है और इसलिए भगवान ने माँ को बनाया है। दुनिया में अगर आपके पास धन नहीं है तो भी आप गरीब नहीं है क्योंकि आप परिश्रम से धन प्राप्ति कर सकते हैं। अगर आप के पास अपार संपत्ति है पर माँ नहीं हैं तो इससे बड़ी निर्धनता और कोई नहीं हैं। माँ के संबंध में बहुत कुछ लिखा जा चुका है, बहुत कुछ पढाया जा चुका हैं पर फिर भी माँ की महिमा इतनी अपरंपार है कि सब कम ही लगता है।चाहे छोटा हो, बड़ा हो या कई बच्चों का बाप हो पर माँ के लिए वह हमेशा एक नन्हे बच्चे जैसा ही रहता है और माँ उसी तरह उसकी हमेशा प्यार से देखभाल करती हैं। भारत में हर वर्ष मई माह के दूसरे रविवार को *मातृत्व दिवस* मनाया जाता है। ऐसे तो हर दिन माँ की पूजा की जानी चाहिए पर माँ का महत्त्व ओर उनके त्याग के प्रतीक में यह दिन खास तौर पर मनाया जाता हैं।
हर व्यक्ति के जीवन में अगर कोई पहला गुरु हैं तो वह उस व्यक्ति की माँ होती है। एक बालक माँ के गर्भ में रहता है उस समय से ही पोषण के साथ कई तरह की चीजे अपने माँ से सीखता है। मैंने अपने जीवन में कई सारी बाते अपनी माँ से सीखी है। हमेशा प्रेम करने वाली माँ कभी-कभी कठोर भी होती है तो सिर्फ अपने बच्चों के भलाई के लिए ही। मुझे याद है जब में छोटा था तब कुछ गलत बच्चो की संगत में पड़कर कुछ गलत शब्द बोलना सीख गया था। उस समय पहली बार मुझे माँ ने मुझे मारा था ओर उस गलत संगत से छुड़ाया था। जब में कॉलेज की दिनों में हॉस्टल में रहने जा रहा था तब माँ ने मुझे जबरदस्ती नाश्ता ओर खाना बनाना सिखाया था जिससे मुझे आगे जाकर हॉस्टल में मुझे अच्छा खाना खाने में लाभ हुआ।
मुझे इस बात की ख़ुशी है कि मेरी माँ आज भी अपने स्नेह और आशीर्वाद की शक्ति के रूप में हमेशा मेरे पास हैं। माँ के उपकारो का वर्णन करना तो असंभव है। *बस इतना कहूँगा कि मेरी माँ मेरी दुनियाँ है।*
मेरी आप सभी से प्रार्थना है कि अपनी माँ का हमेशा आदर करें ओर उनका हमेशा ख्याल रखें । दुनिया में एक ही ऐसी शय है जो कभी आपके बारे में बुरा या गलत नहीं सोच सकती और वह शय है आपकी माँ । अगर आप कभी मंदिर में भी कुछ मांगना चाहते है तो सिर्फ यही कामना करना कि आपके माँ की इच्छा पूर्ण हो क्योंकि एक माँ हमेशा अपने बच्चों के लिए संसार के सभी सुखो की कामना करती हैं।
*ऊपर जिसका अंत नहीं उसे आसमां कहते हैं ओर नीचे जिसके उपकारों का अंत नहीं उसे माँ कहते हैं।*
कहा भी गया है आप अपनी ज़िन्दगी में अपनी मेहनत और लगन से दुनिया के हर प्रकार कर्ज़ से मुक्त हो सकते है। पिता के, पत्नी के, पुत्र के, समाज के और देश के कर्ज़ से भी मुक्त हो सकते हैं लेकिन व्यक्ति कभी भी माँ के कर्ज़ से मुक्त नहीं हो सकता और या तब तक जब तक कि माँ स्वयं अंतिम समय अपने दूध का कर्ज़ न बख़्श दे।
माँ के महत्व को वेदों ने पुरणों ने हर मनुष्य ने हर धर्म ने यहाँ तक कि फिल्म वालों तक ने माना है। फिल्म दीवार का वो मशहूर संवाद बच्चे बच्चे की जुबां पर आज भी कायम है।
*मेरे पास रुपया है बंगला है मोटर है नौकर हैं तुम्हारे पास क्या है ?*
*मेरे पास माँ है।*
इसमें भी माँ के महत्व को दुनिया की हर दौलत हर एशो आराम से ऊपर बताया गया है और यह सही भी है। माँ से बढ़कर और कोई शै नहीं किसी में भी उसके जैसा प्यार ममता त्याग न था न है और न होगा। माँ तेरे चरणों में कोटि कोटि नमन वंदन ।
माँ तुझे प्रणाम ।
राज शुक्ल ग़ज़लराज
दुर्गा नगर बरेली उत्तर प्रदेश*