इतनी फिक्र क्यों करती हो,
चैन से क्यों नहीं रहती हो,
गजब की औरत हो यार,
बस भागती रहती हो,
घर आने में वक्त है, मित्रों के साथ व्यस्त है
तुम दस फोन करती हो,
यार चैन से क्यों नहीं रहती हो,
भूख होगी तो खा लेगें,
बच्चे ही तो है सो लेगें,
पढ़ रहे हैं माँ क्यों परेशान होती हो,
उदास लग रहे हो, आज थके ज्यादा हो,
क्यों बार – बार पूछती हो,
क्या गजब की औरत हो,
हर वक्त चिंता में घुलती हो,
कौन कहे अब मन में क्या चलता है
छोटी सी दुनिया में उसका जीवन चलता है|
गजब किया परमात्मा ने,
औरत का चोला पहनाया है,
मां, पत्नी कभी बहन बनाया है|
कहाँ समझती है ये गजब है|
किसे परवाह है, जानती है|
याद है, फिर भी भूल जाती है|
परिवार के लिए हर वक़्त चलती है|
रिश्तों में जीती रिश्तों में मरती है|
रश्मि मृदुलिका