अद्भुत, विलक्षण शब्द जन्मा,
धरती पर अवतरित हुआ ,
नाकारों का तारणहार हुआ,
ईश्वरीय कृपा से बना चमचा,
भारत भूमि में विशेष रूप में है|
बंजर भूमि में भी पनप सकता है|
अकल्पनीय जीवटता का धनी है|
काल खण्डों से सदैव ही अनश्वर है|
चमचे की चमक से सब फीके है|
सारी प्रतिभाएँ इसके आगे रीते है|
खाक हो ,जो तुम चमचा नहीं हो|
घर, बाहर कण- कण में चमचे बिखरे है|
सदा ही प्रभुत्व के आगे झूकते है|
अभी यहाँ तो अभी वहाँ दिखाई देते है|
असंभव नहीं कुछ भी जो ठान लेते हैं|
रेत का भूरभूरा पहाड़ बना देते हैं|
जिस बर्तन संग पाये जाते हैं|
धीरे धीरे उसका अस्तित्व ढ़क लेते हैं|
चमचा महान ,बर्तन गौण हो जाते हैं|
गुरु से आगे चेले निकल जाते हैं|
चलता- फिरता संसार समेटे है|
बिन चमचे सब काम सुने है|
जो नहीं बन पाए बेचारे चमचे,
लगाते मंदिरों के दिन रात फेरें है|
जिसके जितने चमचे वो उतना महान है|
चमचों के पीछे छुपते बर्तन की जुठन है|
दुनिया के सर्वश्रेष्ठ अभिनेता और कौन है|
हर ताले की कुंजी मिलती इनके पास है|
इनकी महिमा का बंखान शब्दों से परे है|
ये कला और कौशल का अद्भुत संगम है|
मानो तो, सूर्य को दिया दिखाने जैसा है|
समझो तो, चमचा होना ईश्वरीय वरदान है|
रश्मि मृदुलिका
देहरादून उत्तराखंड