आयकर क़ानून में अद्यतन (अपडेटेड) रिटर्न ITR-U पर कर गोष्ठी संपन्न

विशाल सैनी संवाददाता
कानपुर (दैनिक अमर स्तम्भ) / आज वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने फाइनेंस एक्ट, 2022 में इनकम टैक्स एक्ट के सेक्शन 139(8A) के तहत अपडेटेड रिटर्न की घोषणा की थी। इसके तहत किसी भी वित्तीय-वर्ष के लिए कर निर्धारण वर्ष समाप्त होने के बाद आगामी 24 महीने के अन्दर अद्यतन (अपडेटेड) रिटर्न ITR-U फाइल किया जा सकता है। इसे वित्तीय वर्ष 2019-20 से लागू किया गया है। अगर किसी करदाता ने मूल (ओरिजिनल) रिटर्न, विलंबित (बिलेटेड) रिटर्न या संशोधित (रिवाइज्ड) रिटर्न नहीं फाइल किया है, वह भी अद्यतन (अपडेटेड) रिटर्न ITR-U को भर सकता है। यह रिटर्न तब तक नहीं भरा जा सकता है जब तक आप पर कोई अतिरिक्त कर देयता नहीं बनती हो। उपरोक्त जानकारी आज कानपुर इनकम टैक्स बार एसोसिएशन की प्रत्यक्ष-कर गोष्ठी में वक्ता सी.ए. ईशा गुप्ता ने दीं। उन्होंने आगे बताया कि यह प्रस्ताव सस्ता नहीं है, जो लोग अपने आप को साफ़-सुथरा प्रदर्शित करना चाहते हैं और इस निमित्त अपना अद्यतन (अपडेटेड) रिटर्न ITR-U भरना चाहते हैं, उन्हें देय कर के साथ-साथ 25% एवं 50% जुर्माना भी भरना पड़ेगा इसके अतिरिक्त देय तिथि से अब तक का ब्याज भी भुगतान करना होगा। यह जुर्माना राशि, कर निर्धारण वर्ष समाप्त होने के 12 महीने के अन्दर 25% एवं उसके बाद 24 महीने तक 50% होगी।
सी.ए. ईशा गुप्ता ने बताया कि यदि प्रासंगिक कर निर्धारण वर्ष के लिए करदाता के खिलाफ खोज (सर्च), सर्वेक्षण (सर्वे) अथवा कर-निर्धारण (असेसमेंट) की कार्यवाही शुरू हो गयी है, तो वे अद्यतन (अपडेटेड) रिटर्न दाखिल नहीं कर सकते हैं। इसके अतिरिक्त अगर कुल कर-देयता को कम करना है, नुकसान को आय के खिलाफ समायोजित किया जाना है अथवा प्रतिदाय (रिफंड) की राशि में वृद्धि होनी है, तो करदाता अद्यतन (अपडेटेड) रिटर्न जमा करने का अधिकारी नहीं है। परन्तु उन लोगो के लिए यह एक बहुत ही अच्छा मौका है जो बिना किसी मुकदमेबाजी (लिटिगेशन) के अपनी पूर्व में घोषित आय से अतिरिक्त आय दिखाना चाहते हैं। इससे करदाताओं में स्वैच्छिक कर अनुपालन करने को बढ़ावा मिलेगा। गोष्ठी का सभापतित्व करते हुए प्रत्यक्ष कर अध्ययन समिति के सभापति सी.ए. दीप कुमार मिश्र ने कहा कि भारतीय कानून व्यवस्था में सामान्यतः जो पकड़ा जाता है उसी को चोर साबित किया जा सकता है, अन्यथा तो सभी साहूकार हैं। इस सामाजिक अवधारणा के विरुद्ध भारत सरकार का वित्त मंत्रालय प्रत्यक्ष कर कानून के अनुपालन को बढ़ाने के लिए विभिन्न स्त्रोतों से जानकारियां एकत्रित कर रहा है एवं उन जानकारियों का उपयोग करके करदाताओं के लिए वार्षिक सूचना प्रणाली (Annual Information System) AIS का सञ्चालन कर रहा है, जिसमें करदाता को यह डर रहता है कि आज कोई भी जानकारी सरकार की नजरों से छुपी नहीं है और इसलिए अपने समस्त स्त्रोतों से आय को सरकार के सामने प्रकट करने के अतरिक्त दूसरा कोई रास्ता नहीं है। अतः जब रिटर्न को संशोधित करने का कोई विकल्प शेष नहीं रहता है तो इस परिस्थिति में अद्यतन (अपडेटेड) रिटर्न ITR-U करदाताओं के लिए एक उपाय है, जिससे वो अपने को साहूकार बनाये रख सकते हैं, एवं आयकर क़ानून के दंडात्मक प्रावधानों से अपने आप बचा सकते हैं। गोष्ठी की अध्यक्षता एसोसिएशन के अध्यक्ष एड. शिव मंगल जौहरी, संचालन महामंत्री सी.ए. राज गुप्ता तथा धन्यवाद ज्ञापन उपाध्यक्ष एड. प्रदीप द्विवेदी ने दिया। कार्यक्रम में प्रमुख रूप से आदि उपस्थित रहे।

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