ओ भोले भंडारी सुन ले अरज हमारी।
आए हैं तेरे दर पर हम बन कर सवाली॥
तेरी शरण में हम आए हैं भगवन।
रखियो तू ही अब लाज हमारी॥१॥
शीश जटा गंगा विराजत तेरे ।
सोहे निशाकर मस्तक पर तेरे॥
कंठहार बन शेषनाग हैं शोभे।
डमरू,त्रिशूल अस्त्र शस्त्र है तेरे॥२॥
हे शिव शम्भू कृपा करो प्रभु।
हम दिनन की लाज रखो प्रभु॥
धन दौलत मैं चाहूं ना देवा।
तेरी चरणों की धूल बना ले॥३॥
हे त्रिपुरारी शरणागत की गति सुधारो।
जीवन मरण के इस मेले से तुम ही निकालो॥
तुम हो देवो के देव महादेव रक्षा करो हमारी।
दृष्टि तेरी पड़ जाए तो जीवन सफल हो हमारे॥४॥
शीश नवाऊं नतमस्तक होकर करूं प्रार्थना।
हर दिन भोले बाबा की उतारूं आरती॥
हे अविनाशी त्रिकालदर्शी भजूं मैं तुझे बारंबार।
एक बार प्रभु दरस दिखा दो हो जाए वैतरणी पार॥५
मणिमाला शर्मा