खसरा क्रमाक 202/12 एवं 202/18 कि जमीन का हेरा फेरी …….

आपको बता दें कि श्रीमति सरकार अशिक्षित महिला है और उसका पूरा फायदा पुत्र नारायण सरकार उठाता है पूर्व के राजस्व निरीक्षक और हल्का पटवारी के साथ मिलकर सपन सरकार कि भूमि को बेच दिया गया खसरा क्रमाक 202/12 रकवा 0.162 हे० और खसरा क्रमाक 202/18 रकवा 0.181 हे० कि भूमि मेन रोड से लगी भूमि थी लेकिन वर्ष 2012 में श्रीमती सरकार के द्वारा उसका पंजीयन बैनामा मधुसुदन पोद्दार को कर दिया गया है और उसकी लाल स्याही से चिन्हांकित चौहद्दी नक्शा सपन सरकार भू स्वामी के हक कि भूमि 202/11 के अंश भाग मे बना दिया गया और पंजीयन बैनामा करा दिया गया पूर्व के हल्का पटवारी राम प्रताप सिंह और पूर्व के राजस्व निरीक्षक अशोक सिंह के द्वारा उसकी लाल स्याही से प्रतिहास्तक्षरित चौहददी नक्शा सपन सरकार भू स्वामी कि भूमि का बना दिया गया जबकि सन् 1978-79 के खसरा पंचसाला में साफ-साफ लिखा हुआ है 202/12 में पुराना मकान और 202/18 मे बाड़ी स्थित थी 2001 मे श्री मति सरकार और लीलादेवी अग्रवाल का प्रकरण व्यवहार न्यायलय में चल रहा था उसमे बेनीभूषन सरकार के द्वारा व्यवहार न्यायालय में एक शपथ पत्र प्रस्तुत किया गया और बताया गया कि खसरा क्रमाक 202/12 मे श्री मति सरकार का पुराना मकान और खसरा क्रमाक 202/18 में बाड़ी स्थित है और पिछले 36 वर्षों से श्रीमती सरकार उसमे काबिज है और उसी शपथ पत्र के आधार पर श्री मति सरकार को डिग्री भी प्राप्त हुई थी लेकिन श्रीमती सरकार और पुत्र नारायण सरकार और राजस्व निरीक्षक और हल्का पटवारी के साथ मिलकर सपन सरकार कि भूमि कि लाल स्याही से चिन्हांकित कर चौहद्दी नक्शा बनाकर श्रीमती सरकार की भूमि बताकर के पंजीयन बैनामा करा दिया गया ऐसा पहली बार नहीं हुआ है श्रीमती सरकार और नारायण सरकार के द्वारा 202 के रकवे में 11 पंजीयन बैनामा किया गया है और जितनी भी भूमि का पंजीयन बैनामा किया गया वो सब भूमि सपन सरकार और दूसरे भू स्वामी के हक कि भूमि को बेच दिया गया और श्री मति सरकार और नारायण सरकार दोनों मिलकर खसरा क्रमाक 202 के रकबे मे बढ़ोतरी भी कर रखे है जो रकबा पूर्व में 26 एकड़ 72 डिसमिल था आज 29 एकड़ 89 डिसमिल बना लिए गया है और नारायण सरकार तहसील कार्यालय में कई वर्षों से वसूली भृत्य पे पदस्थपित हैं और साथ ही तहसील कार्यालय मैं नारायण सरकार की अच्छी खासी पकड़ है और नारायण सरकार को अच्छा खासा संरक्षण भी प्राप्त है। इसी वजह से यह मुमकिन काम संभव हो पाया है। यही प्रतिक्रिया आज भी चल रही है श्री मति सरकार और नारायण सरकार के ऊपर राजस्व न्यायलय में कितने प्रकरण दर्ज है पर उन पर कोई भी कार्यवाही नहीं होती क्योंकि पूर्व के राजस्व निरीक्षक आज के प्रभारी तहसीलदार अशोक सिंह है। जो खानापूत्ती कर लेते है ।और पुराने सम्बंध भी है। तो कहां से कार्यवाही होगी । प्रभारी तहसीलदार द्वारा श्रीमति सरकार नारायण सरकार को बचाया जा रहा है और वही जिला प्रशासन द्वारा प्रभारी तहसीलदार पूर्व हल्का पटवारी रामप्रताप सिंह को बचाया जा रहा है इन सब से बहुत लोगों का हित प्रभावित किया जा रहा है।

गुलशन अंसारी तहसील संवाददाता मनेन्द्रगढ कि रिपोर्ट

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